अब एक तिहाई बड़ा होगा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर, गुजरात चुनाव के बीच नरेंद्र मोदी कैबिनेट का फैसला
गुजरात चुनाव के बीच पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार ने मिडिल क्लास के लिए एक बड़ा फैसला किया है। केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एमआईजी (मिडिल इनकम ग्रुप) कैटेगरी के घरों के कारपेट एरिया में बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। केन्द्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवादाताओं को यह जानकारी दी। एमआईजी-1 श्रेणी के तहत मकानों के कारपेट एरिया को 90 वर्ग मीटर से बढ़ा कर 120 वर्ग मीटर किया गया है। वहीं एमआईजी-2 खंड के तहत इस एरिया को वर्तमान के 110 वर्ग मीटर से बढ़ा कर 150 वर्ग मीटर किया गया है। एमआईजी-1 श्रेणी के तहत छह लाख और 12 लाख के बीच सालाना कमाई वालों को नौ लाख रुपए तक कर्ज लेने पर ब्याज में चार प्रतिशत की रियायत है। इसी प्रकार से एमआईजी-2 श्रेणी के तहत 12 लाख रुपए से 18 लाख रुपए तक की सालाना आय वालों को 12 लाख रुपए तक के लोन में ब्याज में तीन प्रतिशत की छूट है।
बता दें कि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) के तहत केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार 2022 तक देश के सभी गरीबों को आवास मुहैया कराना चाहती है। एक आंकड़े के मुताबिक शहरी भारत में लगभग 1 करोड़ घरों की कमी है। बुधवार (15 नवंबर) को एक कार्यक्रम में आवास और शहरी मामलों के राज्य मंत्री हरदीप एस. पुरी ने कहा कि एक सर्वेक्षण से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में 1 करोड़ मकानों की कमी है, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए दूर किया जाएगा। पुरी ने ‘नीति, सुधार और नियंत्रण: भारतीय रियल एस्टेट की रीढ़’ विषय पर आरआईसीएस रियल एस्टेट सम्मेलन को यहां संबोधित करते हुए यह बातें कही। उन्होंने कहा कि इस मिशन का मुख्य उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्गो (ईडब्ल्यूएस), कम आय वाले समूह (एलआईजी) और मध्यम आय वाले समूह (एमआईजी) के लोगों के लिए आवास उपलब्ध कराना है। पुरी ने कहा कि धनराशि का अभाव मकान लेने में एक समस्या है। आवासीय क्षेत्र में बहुत कम पारदर्शिता है। झूठे वादे, अपूर्ण आवासीय परियोजनाएं उन अभागे नागरिकों की अनकही विपत्तियों को दशार्ती है जिन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी मकान खरीदने में लगा दी है। हम अभी भी उन थोड़े से लोगों के सफाये की प्रक्रिया के आखिरी चरण में है जिनकी चूक के कारण अनेक ऐसे डेवलपरों की छवि धूमिल हुई है जो अपना क्रय-विक्रय सही तरीके से कर रहे हैं।
2011 में कराए गए एक तकनीकी अध्ययन का जिक्र करते हुए जिसमें शहरी इलाकों में 18.76 मिलियन मकानों की कमी की जानकारी दी गई थी, जिसमें 96 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस खंड और एलआईजी हाउसिंग में थी, पुरी ने कहा कि इसके बाद किए गए आकलनों में इस आंकड़े में संशोधन हुआ है और इसका अंतिम विश्लेषण किया जा रहा है, मकानों की कमी 1 करोड़ इकाइयों के आस-पास अथवा इससे अधिक हो सकती है जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के जरिए दूर किया जाएगा।