दिल्ली: दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज का नाम होगा वंदे मातरम कॉलेज, बीजेपी नेता बोले-मां को दे रहे सम्मान, विरोध में उतरे छात्र
दिल्ली के दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज की गवर्निंग बॉडी (जीबी) ने शुक्रवार (17 नवंबर) को महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए कॉलेज का नाम बदलने का फैसला लिया है। कॉलेज को नया नाम वंदे मारतम महाविद्यालय दिया जाएगा। गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अमिताभ सिन्हा का कहना है कि इसके बाद इवनिंग और मॉर्निंग कॉलेज के अलग-अलग नाम होंगे। साल 1958 से ही दयाल सिंह मॉर्निंग और दयाल सिंह इवनिंग कॉलेज का अपना अस्तित्व रहा है। इसलिए हमें इवनिंग कॉलेज का नाम बदलना ही होगा। दयाल सिंह कॉलेज दिल्ली यूनिवर्सिटी का पहला इवनिंग कॉलेज है। वहीं के एक भाजपा नेता और एक वकील ने कॉलेज का नाम बदलने पर कहा है, ‘मां को सम्मान दे रहे हैं।’ सिन्हा ने आगे कहा कि जीबी ने कॉलेज के नए नाम पर मोहर लगा दी है और डीयू के वाइंस चांसलर को मामले में जानकारी दे दी गई है। वही इसपर अंतिम निर्णय लेंगे और औपचारिक अनुमति देंगे।
गौरतलब है कि इवनिंग कॉलेज के प्रिंसिपल पवन शर्मा को 21 सितंबर को मामले में जानकारी दी गई। इसमें आधिकारिक परिषद की मीटिंग में कॉलेज को पूर्ण कॉलेज बनानी की अनुमति दी गई। कॉलेज को सुबह के वक्त शिफ्ट कर दिया गया है। जहां दोनों की क्लास और आधिकारिक कामकाज अलग-अलग होगा। दूसरी तरफ मामले में दिल्ली यूनिवर्सिटी ने एक कमेटी का गठन किया है जो कॉलेज को दो हिस्सों में बांटने का काम करेगी। हालांकि जीबी के इस फैसले पर कुछ छात्रों और शिक्षकों ने अपना विरोध जताया और प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
बता दें कि इससे पहले कॉलेज का नाम ‘मदन मोहन मालवीय कॉलेज’ रखने पर विचार किया गया। इसपर गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन अमिताभ सिन्हा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि बाद में कॉलेज का नाम मदन मोहन मालवीय की जगह वंदे मातरम महाविद्यालय रखने पर सहमति बनी। सिन्हा आगे कहते हैं, ‘मालवीय किसके बच्चे थे? हम उन्हीं को प्रणाम कर रहे हैं। मां का दर्जा सबसे ऊपर होता है और उन्हें प्रणाम करना है। वंदे मातरम का मतलब मां को सम्मान देना है। इसलिए नाम पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। चाहे वो आपकी मां हो या भारत माता हो। मां…मां ही होती है। जिन्हें मां को सम्मान देने में परेशानी है तो सवाल उठता है कि वो मानव हैं या नहीं।’
सिन्हा के अनुसार कॉलेज का नया नाम 16 लोगों की बैठक में एकमत से चुना गया। हालांकि जीबी सदस्य और इंग्लिश टीचर विराज काफले ने फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि दूसरे मुद्दों के सुलझाने की जगह कॉलेज का नया नाम रखने का यह सही समय नहीं है। मैं लिखित में अपनी प्रतिक्रिया दूंगा।