चॉल से निकले एचटी पारिख ने बुढ़ापे में साकार किया 40 साल पुराना सपना, जानिए HDFC शुरू होने की कहानी

देश के दो बड़े वित्तीय संस्थानों आईसीआईसीआई और एचडीएफफी बैंक को आकार देने और इनके विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हसमुखभाई टी पारेख की आज पुण्यतिथि है। 18 नवबंर, 1994 को आर्थिक जगत की इस मशहूर हस्ती का निधन हो गया। यूके में पढ़ाई करने वाले टी पारेख ही थे जिनका आम लोगों के प्रति खासा लगाव था। उनका सपना था कि हर भारतीय का अपना घर हो। चालीस साल बाद जब उन्होंने ICICI को अलविदा कहा तब दस लाख लोगों के पास अपने घर थे। टी पारेख ही वो शख्स थे जिन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी साल भी वित्तीय कामकाज में बिताए। इस दौरान घर पर एक नर्स और एक नौकर ही रहा करते थे। उन्होंने स्वीकार किया कि पत्नी की मौत के बाद जीवन में खालीपन आ गया।

कोई संतान ना होने की वजह से भी जीवन के आखिरी पलों में उन्हें अकेला रहना पड़ा। हालांकि उनकी भांजी हर्षाबेन ने उनकी काफी देखभाल की। साल 1970 में 59 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। वो हसमुखभाई ही थे जो शादी के बाद वैवाहिक जीवन में खुश रहने के लिए कहा करते थे कि किसी से सिर्फ प्यार करना ही काफी नहीं है। बल्कि हमें एक दूसरे को समझना भी सीखना चाहिए। हसमुखभाई टी पारेख के छह भाई और दो बहने थीं। उनके भांजे दीपक पारेख ने भी खासा नाम कमाया। वो एचडीएफसी के कामयाब चेयरमैन थे।

गौरतलब है कि करीब सत्तर साल पहले हसमुखभाई एक चॉल में पिता ठाकुरदास के साथ रहा करते थे। बाद में उन्होंने किसी तरह पार्ट-टाइम नौकरी हासिल की। साथ ही पढ़ाई भी चलती रही। बाद में आगे की पढ़ाई के लिए लंदन ऑफ स्कूल में शिक्षा हासिल करने का मौका मिला। हसमुखभाई बोम्बे के सेंट जेवियर कॉलेज में लेक्चरर के रूप में भी पढ़ा चुके हैं। करीब तीन साल में वो अच्छे पब्लिक स्पीकर बन चुके थे। बाद में उन्होंने कुछ साल किसी प्राइवेट फर्म में काम किया। इसके बाद उन्होंने ICICI ज्वाइन किया।

68 साल की उम्र जब उन्होंने ICICI बैंक को अलविदा कहा, तब दुनिया ने सोचा की हसमुखभाई सार्वजनिक जीवन से संन्यास ले लेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। उन्होंने नया वित्तीय संस्थान हाउसिंग डेवलपमेंट फिनांस कॉर्पोरेशन (HDFC) शुरू किया। हालांकि उन्होंने ये सपना लंदन ऑफ इकोनॉमिक्स के दिनों में देखा था जो करीब चालीस साल बाद जाकर पूरा हुआ। जानकारी के लिए बता दें कि HDFC शुरू करने के दौरान उन्होंने तत्कालीन वित्तीय सचिव डॉक्टर मनमोहन सिंह से मुलाकात की थी। तब मनमोहन ने उनसे कहा था कि HDFC नई संस्थान है लोग इसके बारे में नहीं जानना चाहेंगे। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

 

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