केवल गुरुवार को ही लगाएं तुलसी का पौधा, रविवार को वहां मत जलाएं दीपक
तुलसी के पौधे का हिंदू धर्म में खास महत्व है। देवी-देवताओं की पूजा में इसका इस्तेमाल किया जाता है। तुलसी के पौधे के अंदर औषधीय और दैवीय दोनों ही गुण हैं। पुराणों में तुलसी को भगवान विष्णु की पत्नी कहा गया है। कहा जाता है कि तुलसी में भगवान का वास होता है, इसलिए इसे घर के आंगन में लगाया जाता है। इसमें वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने की क्षमता होती है। तुलसी दो तरह की होती है। हरे पत्ते वाली तुलसी को रामा तुलसी तो हल्के काले रंग के पत्ते वाली को श्यामा तुलसी कहा जाता है। हरे पत्तों वाली तुलसी बच्चों के लिए तो श्यामा तुलसी बड़ों के लिए लाभकारी होती है।
वैज्ञानिक महत्व
तुलसी के पत्तों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। तुलसी का सेवन करने पर यह क्षमता आपमें भी मजबूत हो जाती है। नियमित रूप से तुलसी का सेवन करने से सर्दी, जुकाम और फ्लू जैसी छोटी-छोटी बीमारियां दूर हो जाती हैं। एक रिसर्च के मुताबिक तुलसी के पत्तों में कैंसर जैसी बड़ी-बड़ी बीमारियां दूर करने के भी गुण हैं। वहीं बताया गया है कि तुलसी के पत्तों और बीज का सेवन करने से नपुंसकता भी खत्म हो जाती है।
तुलसी पूजा का विधान
तुलसी का पौधा किसी भी बृहस्पतिवार को लगा सकते हैं। हालांकि, कार्तिक माह इसके लिए सर्वोत्तम है। पौधा शाम को यहां फिर सुबह के वक्त लगाएंगे तो अच्छा रहेगा। कार्तिक महीने में ही तुलसी का विवाह हुआ था। इसकी पूजा करने और विवाह करवाने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। तुलसी का पौधा घर के बीच या आंगन में लगाएं। अगर आपके घर में आंगन नहीं है तो बालकनी में लगा सकते हैं। इसे ऐसी बालकनी में लगाएं जो कि आपके शयनकक्ष से नजदीक हो। रोजाना सुबह उठें और स्नान कर लें। नहाने के बाद सूर्य को जल अर्पित करें और उसके बाद तुलसी के पौधे में भी जल डालें। जल डालने के बाद कम से कम सात बार तुलसी के पौधे की परिक्रमा करें। रोजाना तुलसी के पौधे के नीचे घी का दीपक जलाएं, इससे भी आपको फायदा होगा।