सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों का वेतन बढ़ेगा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट व सभी हाई कोर्ट के जजों के वेतन में वृद्धि को मंजूरी प्रदान कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस बाबत प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद के मुताबिक वेतन में वृद्धि के संदर्भ में संसद में विधेयक पेश किया जाएगा। वर्ष 2016 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर ने इस बारे में सरकार को पत्र लिखा था और सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जजों के वेतन में वृद्धि की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट के जज को अभी वेतन और भत्ते से सभी तरह की कटौती के बाद प्रति माह 1.5 लाख रुपए मिलते हैं। प्रधान न्यायाधीश को थोड़ा अधिक वेतन प्राप्त होता है। अन्य फैसले में मंत्रिमंडल ने केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (सीपीएसई) में परिश्रमिक की दरों में संशोधन के विषय में नीतिगत ढांचे को मंजूरी दी है। इसके तहत वे अपने कामगारों के साथ अगले दौर की मजदूरी संशोधन वार्ता करेंगे। श्रमिकों के साथ आठवें दौर की वार्ता के लिए मजदूरी नीति को मंजूरी दे दी गई। सूत्रों के अनुसार सीपीएसई का प्रबंधन श्रमिकों के साथ मजदूरी पर संशोधन को बातचीत के लिए स्वतंत्र है। इन उपक्रमों में पांच साल या दस साल का मजदूरी समझौता 31 दिसंबर, 2016 को समाप्त हो गया है। हालांकि सरकार इस तरह की मजदूरी बढ़ोतरी के लिए किसी तरह का बजटीय सहयोग उपलब्ध नहीं कराएगी। संबंधित सीपीएसई को इसका पूरा बोझ अपने संसाधनों से उठाना पड़ेगा। इसके अलावा सीपीएसई के प्रबंधन को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि संबंधित वेतनमान मौजूदा कार्यकारियों व संबंधित कंपनियों के यूनियन के बाहर के कंपनियों से अधिक न होने पाए। सीपीएसई को यह सुनिश्चित करना होगा कि मजदूरी में बढ़ोतरी उनकी वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में बढ़ोतरी न करे।