8 हजार मुसलमानों का करवाया नरसंहार, दोषी साबित हुआ यह ‘बोस्निया का कसाई’

बोस्निया के पूर्व सर्ब सैन्य जनरल रात्को म्लादिच को अंतरराष्ट्रीय अदालत ने करीब आठ हजार मुसलमानों का नरसंहार करराने के लिए उम्रकैद की सजा सुनायी है। करीब दो दशक पहले हुए बोस्निया युद्ध के दौरान म्लादिच ने युद्ध का नेतृत्व किया था। इस दौरान किए गये नरसंहार और मानवता के विरुद्ध अपराध के आरोप की सुनवाई कर रही द इंटरनेशनल क्रिमिनल ट्राइब्यूनल फॉर द फॉर्मर युगोस्लाविया (आईसीटीवाई) ने 74 वर्षीय म्लादिक के अपराध को “मानता के इतिहास के सबसे जघन्यतम अपराधों में एक” माना। 1992 से 1995 तक चले बोस्निया सर्ब युद्ध के दौरान की गयी ज्यादतियों के लिए सर्ब नेता रादोवान कराद्जिक और सर्बिया के राष्ट्रपति स्लोबोदान मिलोसेविक पर भी मुकदमा चलाया गया था। आईसीटीवाई ने साल 2016 में कराद्जिक को 40 साल की सजा सुनायी थी। वहीं मिलोसेविक की साल 2006 में कारावास में मौत हो गयी थी।

म्लादिच ने साल 2011 में मुकदमे की सुनवाई के दौरान कहा था, “मैं जनरल रात्को म्लादिच हूं। पूरी दुनिया मुझे जानती है…मैं यहाँ अपने देश और अपनी जनता का बचाव करने के लिए हूँ न कि रात्को म्लादिच का।” अदालत ने म्लादिच को आठ हजार निहत्थे मुस्लिम बच्चों और वयस्कों की हत्या का दोषी पाया। म्लादिच की सेना ने स्रेब्रेनिका शहर में मासूम लोगों को इकट्ठा करवा कर उन्हें गोलियों और गोलों से भुनवा दिया था। म्लादिच करीब दो दशक तक गिरफ्तारी से बचते रहे थे। उन्हें साल 2011 में सर्बिया में गिरफ्तार किया गया था।

साल 1992 में कराए गए जनमत संग्रह में बोस्निया के मुसलमानों और क्रोएशियाई नागरिकों ने आजादी के पक्ष में वोट दिया था वहीं, सर्ब नागरिकों ने इसके खिलाफ मतदान किया था। अलगाववाद के पक्ष में मत देने से भड़की सर्ब सेना ने विरोध को दबाने के लिए अमानवीय और हिंसक दमन का सहारा लिया जिसका नेतृत्व म्लादिच के नेतृत्व वाली पैरामिलिट्री ने किया। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार इस दौरान हजारों की हत्या की गयी और करीब 2200 घर जला दिए गये। म्लादिच ने स्रेब्रेनिका के कब्जे के दौरान मुसलमानों के उत्पीड़न का वीडियो भी बनवाया था। अंतरराष्ट्रीय अदालत के अनुसार इस दौरान मारे गये लोगों में करीब आठ हजार को जुलाई 1995 में सुनियोजित तरीके से मारा गया था। उस अत्याचार से जुड़े वीडियो फुटेज में म्लादिच “तुर्कों” के खिलाफ बदला लेकर “सर्बों” को आजादी का “उपहार” देने का दावा करते नजर आते हैं।

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