सबसे खतरनाक भारतीय सीरियल किलर, 900 लोगों को पीले रूमाल से उतारा था मौत के घाट

इतिहास में ऐसी कई सीरियल किलिंग की घटनाएं हुई हैं जिनके बारे में जानकर आज भी लोग सिहर जाते हैं। आज हम आपको ऐसे ही सीरियल किलर के बारे में बता रहे हैं जिसने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी थीं। हम बात कर रहे हैं भारतीय इतिहास के सबसे कुख्यात सीरियल किलर ठग बहराम की। बहराम एक ऐसा सीरियल किलर था जिसने करीब 900 से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाया था। कहा जाता है कि यह ऐसा हत्यारा था जो लोगों का मारने के बाद उनकी लाश का भी अता-पता नहीं लगने देता था। आइए बताते हैं इस भारतीय सीरियल किलर के बारे में कुछ बातें।

सीरियल किलर ठग बहराम का जन्म साल 1765 में हुआ था। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो बहराम का खौफ दिल्ली से लेकर जबलपुर तक फैला हुआ था। इस हत्यारे ने करीब 50 साल तक 900 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतारा है। वह रास्ते से गुजरने वाले काफिलों पर अचानक हमला करता था और एक पीले रंग के रूमाल में सिक्का रखकर उनका गला घोंटकर मार देता था। जाने माने लेखक जेम्स पैटोन ठग बहरान के बारे में लिखते हैं कि साल 1840 में 75 वर्षीय ठग बहराम को जब पकड़ा गया तो उसने 931 लोगों की हत्या की बात कबूली थी।

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बताया तो यह भी जाता है कि ठग बहराम अकेला लोगों का शिकार नहीं करता था उसका एक दल था और इस दल में उसके साथ करीब 200 लोग शामिल थे। बहराम इस गिरोह का राजा था इसलिए उसे ‘किंग्स ऑफ ठग्स’ भी कहा जाता है। इन दिनों इसी गिरोह के इतिहास को लेकर बॉलीवुड के मि. परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान ‘ठग्स ऑफ हिंदुस्तान’ फिल्म बना रहे हैं। यह फिल्म जल्द ही रिलीज होने वाली है।

यह गिरोह वेष बदलकर काफिलों में शामिल हो जाता था और मौका पाते ही लूटपाट के बाद लोगों को मौत की नींद सुला देता था। लोगों को इतनी सफाई से मार दिया जाता था जो सबूत भी ना मिले। यहां तक कि पुलिस को गायब हो रहे लोगों के शव भी नहीं मिलते थे। यह गिरोह सभी लाशों को कुओं में छिपा देता था।

साल 1809 में बाकायदा अंग्रेज ऑफिसर कैप्टन विलियम स्लीमैन को गायब हो रहे लोगों के रहस्य का पता लगाने की जिम्मेदारी सौपी गई थी। इसके बाद एक विभाग बनाया गया जिसका हेड ऑफिस जबलपुर में था।

स्लीमैन ने ठग बहराम का गिरोह पकड़ने के लिए दिल्ली से जबलपुर तक के हाईवे के किनारे-किनारे सारा जंगल साफ करा दिया था। साथ ही जंगलों में जासूस लगा दिए थे।

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