IFFI Goa 2017: यूरोपीय सभ्यता का दार्शनिक व्यंग्य

अजित राय

गोवा फिल्मोत्सव के विश्व सिनेमा खंड में दिखाई गई स्वीडन के रूबेन ओसलुंड की बहुचर्चित फिल्म ‘द स्क्वायर’ एक दार्शनिक व्यंग्य है जिसे कई सशक्त दृश्यों के कोलाज में रचा गया है। फिल्म का नायक क्रिस्टियान स्वीडन की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी का सेलिब्रेटी क्यूरेटर है जो अपनी पत्नी से तलाक के बाद दो बेटियों की देखभाल करता है।

उसका नया शो ‘द स्क्वायर’ शुरू होनेवाला है जिसमें दर्शकों को चुनने के लिए कुछ विकल्प दिए जाते हैं जिससे उनमें अच्छा मनुष्य बनने की जिम्मेदारी की भावना आए। इसी बीच उसका फोन चोरी हो जाता है। वह गूगल से पता करता है कि फोन शहर से बाहर एक अपार्टमेंट में कहीं है। आधी रात उस अपार्टमेंट में जहां मुख्य रूप से शरणार्थी रहते है, वह एक धमकी भरी चिट्ठी सभी घरों के मेलबॉक्स में डाल आता है कि आपके किसी बच्चे ने मेरा फोन चुरा लिया है।
उधर, गैलरी की पीआर एजंसी प्रदर्शनी के आक्रामक प्रचार की ऐसी ऐसी तरकीबें करती है कि अंतत: क्रिस्टियान को इस्तीफा देने पर मजबूर होना पड़ता है। एजंसी सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप डालती है जिसमें एक भिखारी को ‘द स्क्वायर’ में घुसते ही विस्फोट में मरता हुआ दिखाया गया है। इसपर जबरदस्त हिट्स तो मिलता है पर प्रदर्शनी विवादों में आ जाती है। क्रिस्टियान ने बिना क्लिप देखे एजंसी को अभियान की अनुमति दे दी थी, इसलिए वह एक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर अपने इस्तीफे की घोषणा करता है।

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