एक मौत ने बदल दी थी अटल बिहारी वाजपेयी की जिंदगी, जानिए पत्रकार से नेता बनने की कहानी

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक व्यक्तित्व ना सिर्फ सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के लिए बल्कि विपक्षी दलों के नेताओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। इस वक्त जब देश में राजनीतिक बहस ने कट्टरता का रूप लिया है। विचारधाराओं की टकराहट अक्सर हिंसक रूप ले लेती है। तो हमें राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी याद आते हैं। वाजपेयी, जिनके अंदर राजनीतिक विरोध की आवाज को भी समाहित करने की गजब की क्षमता थी। इसलिए वह संसदीय राजनीति में विरोधी खेमे में भी उतने ही लोकप्रिय थे, जितना की अपनी पार्टी में। दरअसल वाजपेयी जी की लोकप्रियता पार्टी की सीमाओं से परे चली जाती है। राजनीति में आने से पहले वाजपेयी पत्रकार थे। पत्रकार से सियासत के रास्ते पर आने की उनकी कहानी एक घटना से जुड़ी है। इस घटना ने पत्रकार वाजपेयी की जिंदगी को संसदीय राजनीति की ओर मोड़ दिया। मशहूर पत्रकार तवलीन सिंह को दिये एक इंटरव्यू में वाजपेयी इस घटना का जिक्र करते हैं। वाजपेयी बताते हैं कि वे दिल्ली में बतौर पत्रकार काम कर रहे थे। ये साल था 1953 का। भारतीय जनसंघ के नेता डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा किये जाने के खिलाफ थे।

वाजपेयी बताते हैं कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर में लागू परमिट सिस्टम का विरोध करने के लिए जम्मू-कश्मीर चले गये। इस घटना को कवर करने के लिए वाजपेयी भी उनके साथ थे। बता दें कि परमिट सिस्टम के मुताबिक किसी भी भारतीय नागरिक को जम्मू-कश्मीर में बसने की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर जाने के लिए हर भारतीय नागरिक के पास पहचान पत्र होना जरूरी था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी इस प्रावधान के खिलाफ थे। वाजपेयी बताते हैं कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी परमिट सिस्टम को तोड़कर श्रीनगर थे। वाजपेयी इंटरव्यू में बताते हैं, ‘पत्रकार के नाते मैं उनके साथ था, वो गिरफ्तार कर लिये गये, हमलोग वापस आ गये।’ आगे की घटना का जिक्र करते हुए वाजपेयी बताते हैं,’ डॉ मुखर्जी ने मुझसे कहा, वाजपेयी जाओ, और दुनिया वालों को कह दो कि मैं कश्मीर में आ गया हूं, बिना किसी परमिट के।’

वाजपेयी बताते हैं कि इस घटना के थोड़े दिन बाद ही कश्मीर में नजरबंदी की हालत में सरकारी अस्पताल में डॉ मुखर्जी की मौत हो गई। इस घटना ने वाजपेयी जी को बेहद दुखी किया। वह खुद इंटरव्यू में कहते हैं, ‘मुझे लगा कि मुझे डॉ मुखर्जी के काम को आगे बढ़ाना चाहिए।’ इस घटना के बाद पत्रकार अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति में आ गये। सन 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बनकर लोकसभा में आए। 1996 में वो पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने, हालांकि मात्र 13 दिनों के लिए ही। 1998 में वह फिर से पीएम बने और 2004 तक रहे। अटल बिहारी वाजपेयी राजनीतिक का जीवन लगभग आधी सदी का है। इस दौरान उन्होंने भारत में कई उतार-चढ़ाव देखे।

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