पीएम नरेंद्र मोदी का मंत्रियों को निर्देश- डोकलाम पर केवल विदेश मंत्रालय देगा बयान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डोकलाम विवाद में भारत की कूटनीतिक जीत पर अपने मंत्रियों से बयानबाजी से बचने के लिए कहा है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी ने कहा है कि डोकलाम विवाद में मिली सफलता का प्रचार करना जरूरी है लेकिन ये काम केवल विदेश मंत्रालय करेगा। विदेश मंत्रालय के अलावा बाकी लोगों को इस संवेदनशील मसले पर बयानबाजी करने की जरूरत नहीं है। अखबार ने प्रधानमंत्री के करीबी सूत्र के हवाले से लिखा है कि पीएम मोदी ने बुधवार (30 अगस्त) को अपने मंत्रिमंडल की बैठक में ये बाते कहीं। पीएम मोदी नौवें ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) सम्मेलन में शामिल होने के लिए सितंबर पहले हफ्ते में चीन के शियामेन जाने वाले हैं। पीएम मोदी तीन सितंबर से पांच सितंबर तक चीन में होने वाली बैठक में शामिल होंगे।

अखबार ने सूत्र के हवाले से लिखा है कि पीएम मोदी ने कैबिनेट बैठक में कहा कि जो भी प्रचार होना है, जो भी बयान देना है वो विदेश मंत्रालय से जुड़े मंत्री देंगे। अन्य केंद्रीय मंत्रियों को बीच में बयानबाजी करने की जरूरत नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कैबिनेट बैठक में डोकलाम विवाद पर एक प्रस्तुती भी दी जिसमें इस मामले की वस्तुस्थिति और भारत की चिंताओं का ब्योरा पेश किया गया। कैबिनेट बैठक के बाद जब वित्त और रक्षा मंत्री अरुण जेटली से डोकलाम विवाद से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय पहले ही अपना बयान जारी कर चुका है इसलिए अलग-अलग बयान की कोई जरूरत नहीं है।

भारत, चीन और भूटान के त्रिमुहाने वाले इलाके में स्थित डोकलाम में 16 जून से विवाद शुरू हुआ। डोकलाम को लेकर चीन और भूटान के बीच विवाद है। भारत मानता है कि डोकलाम भूटान का इलाका है। चीन इस इलाके में भारी सैन्य वाहनों की आवाजाही लायक सड़क बना रहा था। भारतीय सैनिकों ने 16 जून को सड़क निर्माण रुकवा दिया जिसके बाद दोनोें देशों के बीच तनातनी हो गई। इस दौरान भारत और चीन की सीमा पर चार-पांच जगहों पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने तैनात रहे। पिछले दो महीने में चीन ने परोक्ष रूप से कई बार भारत को युद्ध की धमकी दी। वहीं भारत ने साफ कर दिया कि डोकलाम से दोनों देशों की सेनाएं एक साथ ही हटेंगी। आखिरकार अगस्त के आखिरी हफ्ते में दोनों देश डोकलाम में एक साथ सेना हटाने पर सहमत हो गए। चीन डोकलाम में सड़क निर्माण भी नहीं करेगा। भारत ने साफ कर दिया कि डोकलाम सुरक्षा की दृष्टि से एक संवेदनशील इलाका है और उसकी यथास्थिति में बदलाव उसे स्वीकार नहीं।

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