केजरीवाल ने थामा लालू यादव की दोस्ती का हाथ
अजय पांडेय
सूबे के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बिहार में अपना नया दोस्त ढूंढ़ लिया है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भाजपा के पाले में चले जाने के बाद केजरीवाल ने राजद प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव की दोस्ती का हाथ थाम लिया है। लालू के बेटे और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की दिल्ली में केजरीवाल से बीते कुछ महीनों में तीन मुलाकातें हो चुकी हैं। ऐसे संकेत हैं कि लालू-केजरीवाल की इस दोस्ती के बहाने वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव तक केजरीवाल-कांग्रेस दोस्ती की पटकथा भी लिखी जा सकती है।
लालू-केजरीवाल की दोस्ती की पहली गाज आम आदमी पार्टी के बिहार के प्रभारी और बुराड़ी के विधायक संजीव झा पर गिरी है। बिहार और झारखंड का प्रभार देख रहे संजीव से बिहार का प्रभार लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह को दे दिया गया है। संजीव अब केवल झारखंड का प्रभार देखेंगे। जानकार सूत्रों का कहना है कि लालू के खिलाफ बिहार के सवर्णों में मौजूद गुस्से को भुनाने की अब तक की रणनीति पर काम कर रही आम आदमी पार्टी अब वहां पर लालू और कांग्रेस के साथ खड़ी होकर भाजपा-जद (एकी) गठबंधन के खिलाफ अलख जगाएंगे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और लालू के बेटे तेजस्वी यादव की राजधानी में हुई एक हालिया मुलाकात के दौरान मौजूद रहे राजद प्रवक्ता मनोज झा ने पूछने पर स्वीकार किया कि दोनों नेताओं की पहले भी दिल्ली में मुलाकातें होती रही हैं। बकौल मनोज झा, यह सच है कि केजरीवाल ने देश की सियासत को समझते हुए अंध-कांग्रेस विरोध के अपने रवैए में अब तब्दीली की है। दूसरी ओर दिल्ली के कांग्रेसी नेताओं को छोड़ दें तो राष्टÑीय स्तर पर कांग्रेस के नेता भी अब केजरीवाल के खिलाफ खुलकर नहीं बोल रहे। झा कहते हैं कि असल में केजरीवाल ने खुद ही कहा है कि वर्ष 2019 का चुनाव देश की जनता बनाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच लड़ा जाना है। ऐसे में आज राजद या कांग्रेस सरीखी पार्टियों के लिए उनका साथ बेहद अहम है। सनद रहे कि नोटबंदी से पहले तक केजरीवाल बिहार में नीतीश कुमार के काफी करीब थे।
उन्होंने नीतीश-लालू और कांग्रेस के महागठबंधन के समर्थन में पटना में एक गैर राजनीतिक मंच से वोट भी मांगा। इसी मंच से लालू के साथ गलबहियां करती उनकी फोटो ने सियासी हलकों में खूब हंगामा मचाया। जानकार सूत्रों का कहना है कि नोटबंदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को समर्थन दिए जाने से सन्नाटे में आए केजरीवाल पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के करीब आए और उसके बाद अब लालू और उनकी पार्टी के साथ भी उनकी नजदीकियां बढ़ रही हैं। इन तमाम बातों से ये संकेत भी मिल रहे हैं कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी की अगुआई वाली भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों का जो गठबंधन अंदरखाने तैयार हो रहा है उसका एक घटक आम आदमी पार्टी भी हो तो कोई ताज्जुब की बात नहीं है।