रोह‍िंग्‍या मुसलमानों का दर्द नहीं समझने पर आंग सान सू की से छ‍िने आधा दर्जन सम्‍मान

म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों पर जारी जुल्मो-सितम के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं करने पर वहां की मानवाधिकारवादी नेता और स्टेट काउंसलर आंग सान सू को दिया गया ‘फ्रीडम ऑफ ऑक्सफोर्ड’ सम्मान समेत करीब आधा दर्जन से ज्यादा सम्मान उनसे छीन लिया गया है। ऑक्सफोर्ड सिटी काउंसिल ने सोमवार (27 नवंबर) की शाम एक बैठक में सर्वसम्मति से इसका फैसला लिया। बैठक में काउंसिल के सदस्यों ने सम्मान छिनने के पक्ष में मतदान किया। यह सम्मान उन्हें 1997 में दिया गया था जिसे उन्होंने 15 वर्षों की नजरबंदी से रिहा होने के बाद साल 2012 में व्यक्तिगत तौर पर ग्रहण किया था।

ऑक्सफोर्ड के सेंट ह्यूग्स कॉलेज ने भी दीवार पर लगी आंग सान सू की की तस्वीर को हटा दिया है और उनके नाम पर रखे गए कॉमन रूम का नाम बदल दिया है। इसके अलावा ऑक्सफोर्ड शहर के ‘फ्रीडम ऑफ दी सिटी’ सम्मान भी वापस ले लिया गया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने भी उनके सम्मान में स्टूडेन्ट्स यूनियन प्रेजिडेंसी हटा दिया है। ग्लासगो में भी फ्रीडम ऑफ दी सिटी सम्मान वापस ले लिया है। शेफिल्ड ने भी फ्रीडम ऑफ दी सिटी सम्मान वापस ले लिया है

इनके अलावा यूनिसन ट्रेड यूनियन ने भी आंग सान सू की की मानद सदस्यता खत्म कर दी है। यूनियन ट्रेड यूनियन ने भी उनकी मानद सदस्यता खत्म कर दी है। वोटिंग के बाद क्रॉस पार्टी मोशन में कहा गया है कि 1997 में उन्हें प्रीडम ऑफ द सिटी सम्मान देना सही था क्योंकि उस वक्त उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए काफी संघर्ष किया था। मोशन के मुताबिक बदले हालात में उन्होंने काउंसिल के किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया कि उनके देश में जो कुछ हो रहा है, उस पर उनकी चुप्पी क्यों है?

बता दें कि सितंबर में ही लंदन के ऑक्सफोर्ड कॉलेज ने आंग सान सू की साल 1999 से लगी तस्वीर हटा दी थी। यह तस्वीर कॉलेज के मुख्य द्वार पर लगी हुई थी। तब भी कहा गया था कि रोहिंग्या मुस्लिमों पर आंग सान सू की द्वारा अमानवीय टिप्पणी करने के बाद यह कार्रवाई की गई है। सू की ने 1967 में सेंट ह्युग्स कॉलेज से ग्रैज्युएशन किया था। इस पेंटिंग रूपी तस्वीर को साल 1997 में मशहूर आर्टिस्ट चेन यानिंग ने बनाया था और सू की के पति और ऑक्सफोर्ड में ही प्रोफेसर रहे माइकल एरिस को सौंप दिया था। एरिस की मौत के बाद यह पेंटिंग कॉलेज को सौंप दी गई थी। तब से यह पेंटिंग कॉलेज के मुख्य द्वार पर टंगी थी।

 

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