मध्याह्न भोजन: लापरवाह दक्षिणी नगर निगम

बंटवारे के बाद दिल्ली के तीनों नगर निगमों में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम आर्थिक रूप से मजबूत भले हो गया हो पर स्कूली बच्चों के मिड-डे-मील के मामले में वह ज्यादा रुचि नहीं ले रहा। बच्चों के भविष्य के साथ इससे बड़ा मजाक और क्या हो सकता है कि दक्षिणी निगम के स्कूलों में पढ़ने वाले करीब साढ़े तीन लाख बच्चों के मिड-डे-मील की गुणवत्ता पर खरे न उतरने पर दिल्ली सरकार ने भी निर्धारित नियमों के मुताबिक उसके ऊपर कार्रवाई की है। इतना ही नहीं दक्षिणी निगम के पास जनवरी 2012 से 15 सितंबर 2017 तक की वर्षवार सूचना भी कार्यालय में उपलब्ध नहीं है। जबकि उत्तरी और पूर्वी दिल्ली नगर निगम संसाधन कम होने के बाबजूद नियमों की अवहेलना करने में सावधानी बरतने की कोशिश की है।

संकलित रूप में रिकार्ड ही उपलब्ध नहीं
आरटीआइ कार्यकर्ता जीशान हैदर ने जब तीनों निगमों के स्कूलों में करीब नौ लाख बच्चों को परोसे जाने वाले मिड-डे-मील की गुणवत्ता की जांच के लिए नमूने भेजे जाने, प्रोटीन परीक्षण में पास होने या फेल होने, किस प्रयोगशाला में भोजन की गुणवत्ता की जांच कराने, गुणवत्ता के मानक के बारे में सूचनाएं उपलब्ध कराने, भोजन की कैलोरी की जांच करने और सरकार की तय गुणवत्ता पर खरे न उतरने पर का ब्योरा मांगा तो जवाब में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। दक्षिणी निगम के पास किसी भी सूचना का संकलित रूप में रिकार्ड उपलब्ध नहीं है।

उधर, उत्तरी निगम ने आरटीआइ के जबाब में कहा कि बंटवारे के बाद साल 2012 से 2017 तक मिड-डे-मील के 658 सैंपल उठाए गए। जिनमें 439 सैंपल प्रोटीन में और 381 सैंपलों में कैलोरी की मात्रा पूरी पाई गई है। यहां भोजन की गुणवत्ता आठ प्रयोगशालाओं में कराई जाती है। यहां भी प्रोटीन 12 ग्राम और कैलोरी की मात्रा 450 मांपी गई। पूर्वी निगम ने अपने पांच सालों के आंकड़े और डाटा में बताया कि साल 2013-14 में उठाए गए 125 सैंपल में 40 में कमी पाई गई। साल 2014-15 में 75 सैंपल में 42 में कमी, 2015-16 में 164 सैंपल में 46 में कमी, 2016-17 के 141 और 2017-18 के 90 सैंपलों में कोई कमी नहीं पाई गई।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *