देश में 61 फीसद मौतों की वजह जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां

देशभर में सबसे ज्यादा मौतें (61 फीसद) जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से होती हैं। पर्यावरणीय प्रदूषण की इसमें अहम भूमिका है। प्रदूषकों का असर कई स्तर पर हो रहा है, जिसके बारे में अब पता चलना शुरू हो रहा है। यह जानकारी सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की ओर से जारी बॉडी बर्डन नामक स्वास्थ्य रिपोर्ट में दी गई है। सीएसई की महानिदेशक सुनीता नारायण ने रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि यही हालात रहे तो साल 2020 तक कैंसर के सालाना 17.30 लाख से अधिक मामले आने लगेंगे।

सुनीता नारायण ने कहा कि देश में मौत का सबसे बड़ा कारण जीवनशैली की बीमारियां हैं। इसके साथ ही प्रदूषण का भी सेहत से गहरा संबंध है, जिसके चलते कई अन्य बीमारियां पैदा हो रही हैं। उन्होंने कहा कि कीटनाशक से कैंसर जैसी बामारी होती है, लेकिन अब पता चला है कि मधुमेह का भी इससे गहरा रिश्ता है। हर 12वां भारतीय मधुमेह रोगी है। इसी तरह से वायु प्रदूषण का मानसिक स्वास्थ्य से अंतर्संबंध है। 30 फीसद असामयिक मौतें वायु प्रदूषण के कारण ही होती हैं।

सीएसई की रिपोर्ट से पता चलता है कि सात सबसे बड़ी बीमारियां जीवनशैली व प्रदूषण के कारण होती हैं। देश में हर साल हार्ट अटैक से 27 लाख लोगों की मौत होती है, जिसमें से 52 फीसद लोग 70 साल से कम के होते हैं। राजधानी में हर तीसरे बच्चे के फेफड़े प्रभावित हैं। 2016 तक देश में 3.50 करोड़ अस्थमा रोगी थे। प्रदूषण के अब तक के अध्ययन से पता चलता है कि दिल की बीमारी का वायु प्रदूषण से गहरा संबंध है।

रिपोर्ट तैयार करने वाली विभा वार्ष्णेय ने कहा कि अगर हमें 2030 तक टिकाऊ विकास का लक्ष्य हासिल करना है और असामयिक मौतों में एक तिहाई की कमी लानी है तो पर्यावरणीय जोखिम के कारणों पर अनिवार्य रूप से ध्यान देना और इनसे बचाव करना होगा। इस लक्ष्य को हासिल करने की समयसीमा साल 2030 रखी गई है। इसी तरह से प्रदूषण से होने वाली बीमारियों का भी कई स्तर पर अध्ययन किया जाना बाकी है ताकि उनके बचाव के कदम उठाए जा सकें।

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