ये हैं सुख-समृद्धि के प्रतीक, घर में लाते हैं खुशियां, जानें कौन थे लाफिंग बुद्धा
पौराणिक मान्यताओं अनुसार महात्मा बुद्ध को एक अध्यात्मिक रुप में जानते हैं। बौद्ध ने अन्याय के खिलाफ रहकर शांति का जीवन अपनाया था। यहां आज हम महात्मा बौद्ध की नहीं लाफिंग बुद्धा की बात करने जा रहे हैं, कई लोग अपना घर से सजाते समय और वास्तु के अनुसार लाफिंग बुद्धा रखना शुभ मानते हैं। आपको यदि कोई कंफ्यूजन इस बात को लेकर है कि महात्मा बुद्ध और लाफिंग बुद्धा एक थे तो ये बिल्कुल गलत है। उनका महात्मा बुद्ध से कोई रिश्ता नहीं था। माना जाता है कि बुद्ध किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं था, ये एक अवस्था का नाम माना जाता है। इसका अर्थ होता है कि ज्ञान की प्राप्ति होना। जिसे ज्ञान की प्राप्ति हो गई वो बुद्ध कहलाने लगा।
लाफिंग बुद्धा का जब महात्मा बुद्ध से कोई रिश्ता नहीं था तो ये सवाल आता है कि लाफिंग बुद्धा कौन थे। माना जाता है कि महात्मा बुद्ध के कई शिष्य हुए उनमें से एक जापान का हतोई भी था। माना जाता है कि हतोई को जब ज्ञान की प्राप्ति हुई वो हंसते रहने लगे और अपने पूरे जीवन हंसते रहे। उनके जीवन का एकमात्र उद्देश्य था कि वो लोगों को भी हंसा पाएं। वो एक गांव से दूसरे गांव जाते और वहां लोगों को हंसाने का काम करते थे। लोगों को उनके कारण खुशी मिलती थी और उनके आने का इंतजार रहता था। जापान के लोग उन्हें लाफिंग बुद्धा कहने लगे। वो इस कहीं भी किसी भी जगह पर जोर-जोर से हंसने लगते थे। समय बीतने के साथ पूरे जापान में लोग लॉफिंग बुद्धा के नाम से उन्हें पहचानने लग गए थे। लोग हतोई के आने का इंतजार करते थे, वो कोई प्रवचन नहीं देते थे लेकिन लोगों की भीड़ उनके पास खड़े होकर हंसती थी।
हतोई का मानना था कि कि प्रवचन देने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं है और ना ही उनके पास बताने के लिए कुछ नहीं बचा है। तुम लोग बेकार में परेशान होकर रोते हो, तुम लोगों को एक मूर्ख की आवश्यकता है जिस पर तुम सब हंस सको। मेरा यही संदेश है कि तुम लोग जितना मन हो उतना हंसो। तुम्हारा रोना, हंसना और शोर मचाना व्यक्तिगत समस्या है। तुम्हें देखना होगा कि पूरी सृष्टि हंस रही है। चंद्रमा, तारे, पक्षी, फूल, पौधे सब हंस रहे हैं और लोग रो रहे हैं। उनका संदेश था कि- आंखें खोलो, जागो और हंसो यही मेरा संदेश है।