‘लग्जरी से ज्यादा जरूरी है यूनिफॉर्म’, पढ़ें NIT छोड़ एनडीए टॉपर बने शिवांश जोशी की कहानी

शिवांश जोशी के जज्बे को देखकर आज सभी उसे सलाम कर रहे हैं। 17 साल के शिवांश ने नेशनल डिफेंस एकेडमी के एंट्रेंस एग्जाम के टॉपर का खिताब अपने नाम कर लिया है। लेकिन इसके साथ ही उसने जॉइन्ट एंट्रेंस एग्जाम (JEE) में भी अच्छे स्कोर्स हासिल किए हैं। इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी या किसी भी इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला पाने के लिए यह परीक्षा पास करना अनिवार्य है। मगर शिवांश ने इंजीनियरिंग से ज्यादा महत्व सेना को दिया और एनआईटी, त्रिची पल्ली में इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन के बजाए सेना जॉइन करने का फैसला किया। शिवांश का सपना सेना में अपने देश की सेवा करने का है जिसे हकीकत में बदलने के लिए उसने कड़ी मेहनत की है और आईआईटी की जगह एनडीए को चुना है। शिवांश के लिए लग्जरी से ज्यादा जरूरी है यूनिफॉर्म।

शिवांश हमेशा से ही एक योग्य छात्र रहे हैं। उसने 12वीं बोर्ड परीक्षा में भी 96.8 फीसदी अंक स्कोर किए थे और साथ ही JEE भी क्वॉलिफाई किया था। बावजूद इसके शिवांश ने इंजीनियर बनकर, एकलग्जरी लाइफ जीने के बजाए सेना में जाने का फैसला लिया है। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में शिवांश ने कहा कि वह हमेशा से ही आर्मी में जाना चाहता था। शिवांश ने कहा, “किसी और पेशे में वो अनुशासन, सम्मान और गर्व नहीं है जो सेना में मिलता है। सुरक्षा सेवाओं मे शामिल होकर आप अपने देश की सबसे अच्छी सेवा कर सकते हैं।” सिर्फ इतना ही नहीं शिवांश ने JEE भी बिना कोई कोचिंग लिए पास किया था। वह JEE, NDA और 12वीं बोर्ड, तीनों ही परीक्षाओं की तैयारी एक ही समय पर कर रहा था।

शिवांश ने तीनों परीक्षाओं की तैयारी कैसे की? इसके बारे में वह बताते हैं,”पढ़ाई पर अपना फोकस बनाए रखने के लिए मैं सोशल मीडिया से दूर रहा। मैंने परीक्षा समाप्त होने के बाद ही स्मार्टफोन खरीदा था।” शिवांश बताते हैं कि फील्ड मार्शल सैम मेनेश्कोव, एनएसए अजीत डोवाल और जनरल बिपिन रावत की कहानियों से उन्हें काफी प्रेरणा मिली।

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