बर्थडे स्पेशल : पिता का सिर्फ एक फैसला, डांसिंग क्वीन से यूं क्रिकेट की महारानी बन गईं मिताली राज
भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान मिताली राज आज अपना 35वां जन्मदिना मना रही हैं। मिताली ने वनडे और टेस्ट क्रिकेट में 50 से ज्यादा के एवरेज से बल्लेबाजी की है। वहीं टी20 क्रिकेट में उनका औसत 40 का रहा है। इसके साथ ही महिला वनडे क्रिकेट के इतिहास में मिताली राज 6000 रन बनाने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं। उन्होंने सिर्फ 183 मैचों में यह कारनामा किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मिताली क्रिकेटर नहीं बनना चाहती थीं। जोधपुर में पैदा हुईं मिताली की क्लासिकल डांस में काफी दिलचस्पी थी। वह एक अच्छी भरतनाट्यम डांसर हैं, लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनके पिता दोराई राज एक इंडियन एयरफोर्स अफसर थे। बाद में उन्होंने आंध्रा बैंक जॉइन कर लिया। जब मिताली 10 साल की थीं तो वह उन्हें सिकंद्राराबाद में सेंट जोन्स कोचिंग कैंप में ले जाया करते थे। पिछले 12 साल से भारतीय टीम की कप्तानी करने वाली मिताली बचपन में बेहस ही आलसी थी।
मिताली के पिता को हमेशा यही डर सताता था कि उनकी बेटी पूरी जिंदगी इस आदत की शिकार ना रह जाए। यही वजह थी कि मिताली के पिता ने उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए भेजना शुरू क्या। मिताली का मन पहले तो क्रिकेट में ना के बराबर था लेकिन लगातार खेलने की वजह से उन्हें इससे प्यार होने लगा। 10 साल की उम्र में मिताली क्लासिकल डांस किया करती थी लेकिन पिता के कहने पर उन्होंने डांस छोड़ बल्ला हाथ में थाम लिया।
मिताली राज की मां भी क्रिकेट प्रेमी रही हैं और वह यह खेल चुकी हैं। इस वजह से उन्हें घरवालों की तरफ से क्रिकेट को लेकर हमेशा सपोर्ट मिलता रहा। लगातार क्रिकेट खेलने के बाद 17 साल की उम्र में पहली बार मिताली का चयन भारतीय टीम में किया गया। इसके बाद एक इंटरव्यू में मिताली ने बताया कि उन्होंने क्रिकेट खेलने की शुरुआत अपने पेरेंट्स की खुशी के लिए की थी लेकिन बाद में उन्हें इस खेल से प्यार हो गया।
मिताली को महज 21 साल की उम्र में भारतीय महिला टीम का कप्तान बना दिया गया। साल 2013 में मिताली दुनिया की नंबर वन वनडे क्रिकेटर भी रही थीं। मिताली आज भी भारतीय महिला टीम की कप्तानी कर रही हैं और उनके नेतृत्व टीम ने कई उपलब्धियां भी हासिल की है।