म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक: एनएसए के कहने पर बदला गया था प्लान- सेनाध्यक्ष ने सार्वजनिक की डिटेल, सरकार नाराज
पुणे में एक किताब की लांचिंग के मौके पर जनरल रावत ने कहा कि ऑपरेशन में शामिल सेना के विशेष कमांडो 12-बिहार बटालियन के यूनिफॉर्म में थे।
दो साल पहले म्यांमार में की गई सर्जिकल स्ट्राइक पर सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। पुणे में एक किताब की लांचिंग के मौके पर जनरल रावत ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के कहने पर ऑपरेशन में ऐन वक्त पर बदलाव किया गया था। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन में शामिल सेना के विशेष कमांडो 12-बिहार बटालियन के यूनिफॉर्म में थे। यह पहला मौका है जब शीर्ष स्तर के किसी व्यक्ति द्वारा म्यांमार सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी दी गई है। जनरल रावत के बयान से केंद्र सरकार नाखुश है। ज्ञात हो कि नेशनलिस्ट सोशिलस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड-खापलांग गुट (एनएससीएन-के) के उग्रवादियों ने मणिपुर में घात लगाकर हमला कर 6-डोगरा बटालियन के 18 जवानों की हत्या कर दी थी। भारतीय सेना ने इसके जवाब में एनएससीएन-के गुट के म्यांमार स्थित उग्रवादी शिविर को तबाह कर दिया था।
…जब चकित रह गए थे जनरल रावत: सर्जिकल स्ट्राइक के वक्त जनरल रावत दिमापुर स्थित सेना के तीसरे कोर के प्रमुख के तौर पर तैनात थे। अभियान की जिम्मेदारी उन्हीं पर थी। सेनाध्यक्ष ने कहा, ‘स्ट्राइक से ठीक पहले एनएसए अजीत डोभाल ने फोन कर ऑपरेशन शुरू करने से पहले कमांडो लीडर को एक बार फिर से पूरी योजना के बारे में जानकारी देने की बात कही थी। इससे मैं चकित रह गया था, क्योंकि स्पेशल कमांडो को ऑपरेशन पर भेजा जा चुका था। वे सब रास्ते में थे। इसके बाद सर्जिकल स्ट्राइक के लिए चार दिन पहले तैयार की गई योजना में सुधार करते हुए म्यांमार सीमा पर पहुंचने के बाद उन्हें अपना मार्ग बदलना पड़ा था।’ मालूम हो कि भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक की घोषणा के तुरंत बाद म्यांमार ने ऐसी किसी घटना से इंकार करते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया था।
जनरल के बयान से सरकार नाराज: अंग्रेजी समाचारपत्र ‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक जनरल रावत के इस बयान से गृह और विदेश मंत्रालय नाखुश है। उनका बयान ऐसे समय आया है जब भारत एनएससीएन के उग्रवादियों और रोहिंग्या शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिए म्यांमार के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है। रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी का हवाला भी दिया गया है। इस अधिकारी ने बताया कि सेनाध्यक्ष को म्यांमार की वास्तविकता और वहां भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में सचेत रहना चाहिए। सर्जिकल स्ट्राइक पर इस तरह की विस्तृत जानकारी देने से किसी भी तरह की मदद नहीं मिलेगी। जनरल रावत को सरकार की चिंताओं से अवगत करा दिया गया है। भारतीय कमांडो ने 10 जून 2015 को सीमा से लगते म्यांमार के क्षेत्र में घुसकर उग्रवादियों को व्यापक क्षति पहुंचाई थी।