‘भाजपा के कुछ बड़े नेता ही नहीं चाहते थे कि ढांचा टूटे’

अजय पांडेय

पच्चीस साल पहले 5 दिसंबर की शाम करीब सवा सौ शिवसैनिकों को साथ लेकर जयभगवान गोयल कार सेवा करने के लिए दिल्ली से अयोध्या पहुंचे थे। शिवसेना के समूचे उत्तर भारत का प्रभारी होने के नाते उन्हें अहम जिम्मेदारी मिली थी। पार्टी प्रमुख बाला साहब ठाकरे का आशीर्वाद उन्हें हासिल था। लाव-लशकर के साथ अयोध्या पहुंचे गोयल का कहना हैं वहां देखकर यह निराशा हुई कि कारसेवा की अगुवाई करने वाली भाजपा के ही कुछ बड़े नेता रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद ढांचे को तोड़ने के खिलाफ थे।
लंबे समय तक शिवसेना से जुड़े रहे गोयल का कहना है कि देश के लोग आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी अगुआई वाली भाजपा की ओर बड़ी हसरत से देख रहा है। लोकसभा से लेकर उत्तर प्रदेश तक में मोदी से लेकर योगी तक को इतना भारी समर्थन इसी राम मंदिर के निर्माण के नाम पर मिला। ऐसे में अब साफ है कि यदि भाजपा को 2019 में दोबारा सत्ता में आना है तो उसे हरहाल में राम मंदिर बनाना ही होगा।

गोयल बताते हैं कि जब हम लोग पांच दिसंबर की शाम दिल्ली से अयोध्या पहुंचे तो हमें बताया गया कि कोई ढांचा नहीं तोड़ा जाएगा। सभी कार सेवकों से कहा गया था कि वे सरयू नदी से दो मुट्ठी रेत और एक लोटा पानी लेकर आएंगे और राम चबूतरे की मालिश करेंगे। लेकिन कार सेवकों के उतरे हुए चेहरे बता रहे थे कि वे इस इरादे से यहां नहीं आए थे। उन्हें चबूतरे की घिसाई नहीं करनी थी।

गोयल ने बताया कि आंदोलन की अगुआई करने वाले भाजपा के ही कुछ वरिष्ठ नेताओं ने इशारा किया था कि ढांचे को तोड़ना नहीं है लेकिन शिव सैनिक अपने इरादे पर अटल थे। गोयल बताते हैं कि ढांचा ढहने के बाद हमलोग दिल्ली आए और मीडिया के सामने यह स्वीकार किया कि हां, हमने यह किया है। इसके बाद ही सीबीआइ ने मुकदमा दर्ज कर मुझे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। ढांचे को गिराए जाने के मामले में किसी व्यक्ति खिलाफ यह पहला मुकदमा था।

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