फोर्टिस केस में अनिल विज हुए सख्त, कहा- यह लापरवाही नहीं, मर्डर है
डेंगू से मासूम की मौत और पीड़ित परिवार को भारी-भरकम बिल थमाने वाले गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल पर संकट के बादल मंडरा गए हैं। मामले में हुई उच्च स्तरीय जांच में अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही बरतने, अनियमितताएं करने जैसे संगीन आरोप आए हैं। बकौल स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज अगर सामान्य भाषा में कहें तो यह लापरवाही से हुई मौत नहीं, बल्कि मर्डर है। सरकार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराएगी।
इधर, सरकार ने अस्पताल के ब्लड बैंक के लाइसेंस को भी कैंसल करने का नोटिस थमा दिया है। यही नहीं अस्पताल की लीज कैंसल से लेकर अस्पताल का लाइसेंस रद्द तक हो सकता है। सरकार ने इस रिपोर्ट पर कानूनी राय लेने के लिए एलआर के पास भेज दिया गया है।
देशभर की सुर्खियों में डेंगू की मरीज सात साल की उदया सिंह की मौत से जुड़े मामले में सामने आई रिपोर्ट में अस्पताल पर महंगी दवाओं का इस्तेमाल करने, गैर-कानूनी तरीके और लापरवाही से मामले को हैंडल करने तथा कागजों में गड़बड़ी करने के भी आरोप लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. राजीव वढेरा की अध्यक्षता वाली इस कमिटी ने अपनी रिपोर्ट बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज को सौंपी दी। उल्लेखनीय है कि सरकार के कुछ अफसरों पर इस रिपोर्ट को दबाने के आरोप आए थे और इससे विज ने तूफान खड़ा कर दिया था। उनकी झाड़ का असर यह पड़ा की 24 घंटे के बीच रिपोर्ट उनके हाथों में आ गई।
विज ने रिपोर्ट जारी करते हुए साफतौर पर कहा कि फोर्टिस अस्पताल उदया सिंह की मौत के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर सामान्य भाषा में कहें तो यह लापरवाही से हुई मौत नहीं, बल्कि मर्डर है। सरकार अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ पुलिस केस दर्ज कराएगी।
विज ने यह भी संकेत दिए हैं कि स्वास्थ्य मंत्रालय अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने जैसा बड़ा कदम भी उठा सकता है। उन्होंने कहा, इस मामले में आईएमए (इंडियन मेडिकल काउंसिल) को लिखा जाएगा। मंत्री विज ने कहा कि अस्पताल की लीज को कैंसल करने पर भी विचार चल रहा है। इसके लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण से संपर्क किया जाएगा। यह अस्पताल हूडा की जमीन पर बना है और अस्पताल को रियायती दरों पर जमीन मिली थी। सरकार व हूडा के बीच करार हुआ था। अस्पताल ने इस करार के खिलाफ काम किया है।
यह है मामला
दिल्ली के द्वारका इलाके की निवासी उदया सिंह को 27 अगस्त को तेज बुखार हुआ। पिता जयंत सिंह उसे द्वारका के सेक्टर-12 स्थित रॉकलैंड अस्पताल में लेकर गए थे। उदया की जांच में उसे 31 अगस्त को टाइप-4 का डेंगू से पीड़ित पाया गया। रॉकलैंड के डॉक्टरों ने उसे वहां से शिफ्ट करने की सलाह दी। जयंत सिंह ने उसी दिन उदया को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती करवाया था। यहां उसे पहले दिन वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद 14 सितंबर को जब उसे फोर्टिस से फिर रॉकलैंड में शिफ्ट किया गया तो उसे बिना उपकरणों वाली एम्बुलेंस में भेज दिया गया। इसी दौरान उदया जीवन की लड़ाई हार गई।
एक ट्विटर से सुर्खियों में आया मामला
यह मामला उस समय सुर्खियों में उस समय आया जब पीड़ित पिता ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को ट्वीट कर यह जानकारी दी कि अस्पताल ने उनकी बेटी की मौत के बाद इलाज के नाम पर 16 लाख रुपए से अधिक का बिल भरने को कह दिया। यह बिल 15 पेज का था और इसमें 14-15 दिन के इलाज के दौरान 660 सीरिंज और 2700 ग्लब्स इस्तेमाल का उल्लेख किया गया। इसके अलावा दवाइयों को ही लाखों रुपए का बिल बना दिया गया। यह ट्वीट सोशल मीडिया में सुर्खियों में आया तो नड्डा ने जांच के आदेश दिए। दूसरी ओर हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने भी मामले का नोटिस लेते हुए जांच कमेटी गठित कर दी। कमेटी ने जांच पूरी की और बुधवार को सरकार को सौंप दी।
रिपोर्ट में यह आए अस्पताल पर आरोप
स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने रिपोर्ट के अंशों का उल्लेख करते हुए बताया कि रिपोर्ट के मुताबिक बच्ची को 31 अगस्त से 14 सितंबर तक गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल के चाइल्ड आईसीयू में भर्ती करवाया गया था। इस दौरान अस्पताल ने न केवल डायग्नोज प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया बल्कि आईएमए के नियमों की भी अनदेखी की। इसके लिए एमसीआई को भी उचित कार्रवाई के लिए लिखा गया है। बच्ची के इलाज में जनेरिक और सस्ती दवाइयों की बजाए अस्पताल ने जानबूझ कर आईएमए के नियमों का उल्लघंन करते हुए महंगी दवाइयों का इस्तेमाल हुआ।