पहाड़ पर कलरव: स्वागत है विदेश से आए इन मेहमानों का

उत्तराखंड में सर्दी के साथ ही प्रवासी पक्षियों ने भी दस्तक देनी शुरू कर दी है। बड़ी तादाद में ये खूबसूरत मेहमान हजारों किलोमीटर की हवाई दूरी तय कर उत्तराखंड की यमुना और गंगा घाटी में पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड में अब तक प्रवासी पक्षी 15 हजार से ज्यादा की तादाद में पहुंच चुके हैं। मानसरोवर से आने वाले राजहंस पक्षी के जोड़े उत्तराखंड की यमुना घाटी के देहरादून स्थित आसन बैराज में डेरा डाल चुके हैं जबकि दुर्लभ राजहंस पक्षी अभी तक गंगा घाटी के हरिद्वार स्थित भीम गोडा बैराज, मिस्सरपुर और ऋषिकेश के पशुलोक गंगा बैराज में नहीं पहुंचे हैं। इससे इन खूबसूरत जोड़ों को ऋषिकेश और हरिद्वार में देखने के लिए आने वाले पर्यटकों को निराशा हाथ लग रही है।
पिछले साल गंगा घाटी में राजहंस के जोडे़ 20 नवंबर के आसपास पहुंच चुके थे, जबकि अभी तक गंगा घाटी के ऋषिकेश, हरिद्वार क्षेत्र में अनुकूल वातावरण न मिल पाने के कारण राजहंस के जोड़ों ने इस क्षेत्र से मुंह मोड रखा है। देहरादून के यमुना घाटी के आसन बैराज में राजहंस के 50 जोड़े चिन्हित किए गए हैं। यमुना घाटी में पिछले साल के मुकाबले इस बार राजहंस के जोडेÞ ज्यादा संख्या में आए हैं। दरअसल यमुना घाटी के मुकाबले गंगा घाटी में राजहंस के जोड़ों के साथ ज्यादा मानवीय दखल होता है और उन्हें यह पसंद नहीं है।

कहां से आते हैं पक्षी
प्रवासी पक्षी सर्दियां शुरू होते ही साइबेरिया, ब्रिटेन, मध्य एशिया और मंगोलिया से बड़ी तादाद में आते हैं। जो उत्तराखंड के अलावा हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश समेत मध्य भारत के मैदानी क्षेत्रों बह रही विभिन्न नदियों में अपना डेरा जमाते हैं।
क्या है इस बार अहम
पक्षी विज्ञानियों के मुताबिक इस बार महत्त्वपूर्ण बात यह है कि साइबेरियन पक्षियों के साथ सबसे तेज उड़ान भरने वाले पेरेग्रिन फॉल्कन प्रवासी पक्षी भी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं।
गंगा घाटी में कहां होता है डेरा
प्रवासी पक्षियों के लिए गंगा घाटी में सबसे प्रिय पशुलोक बैराज, भीमगोड़ा बैराज, मिस्सरपुर गंगा घाट, गंगा का खादर क्षेत्र बालावाली, शेरपुर बेला, जोगावाला सहित एक दर्जन से ज्यादा स्थान है।
शिकारियों का साया
प्रवासी पक्षियों के लिए गंगा घाटी क्षेत्र के मैदानी इलाकों में डेरा जमाने के साथ इनका शिकार करने वाले शिकारी भी सक्रिय हो जाते हैं जबकि गंगा घाटी, यमुना घाटी क्षेत्र में पक्षियों के शिकार करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगी हुई है। परंतु वन विभाग की लापरवाही के कारण इन प्रवासी पक्षियों का शिकार भी बड़ी तादाद में वन्य जीव तस्कर अवैध रूप से करते हैं।
धुंध ने भटकाया
पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि इस बार पाकिस्तान के लाहौर से लेकर पटना दिल्ली तक आसमान में धुंध होने के कारण प्रवासी पक्षियों का दिशा ज्ञान प्रभावित हुआ और वह राह भटक गए। जिस कारण वे अक्तूबर के आखिरी हफ्ते में आने की बजाय मध्य नवंबर में उत्तराखंड पहुंचे।
बदलते मिजाज से संकट
वायुमंडल के बदलते मिजाज का प्रवासी पक्षियों के भारत आने के क्रम में तेजी से बदलाव आ रहा है। जो पक्षी विज्ञानियों के लिए चिंता का विषय है।

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