लाखों की संख्या में वाहन और इंस्पेक्टर सौ से भी कम
शंकर जालान
पश्चिम बंगाल के मोटर व्हीकल विभाग में इंस्पेक्टरों की खासी कमी है। राज्य में पंजीकृत वाहनों की तुलना में उनकी संख्या बेहद कम है।
अगर बीते महीने में जारी आंकड़ों की बात करें तो छोटे-बड़े वाहन मिलाकर राज्य में पंजीकृत वाहनों की संख्या 72 लाख थी और मोटर इंस्पेक्टरों की संख्या महज 94। यानी जिन 72 लाख वाहनों के वाइपर, हेडलाइट, हॉर्न, धुआं (प्रदूषण जांच) और वाहन से जुड़े आवश्यक कागजात देखने की जिम्मेदारी जितने लोगों के कंधे पर है उनकी संख्या सौ से भी कम है। बीते पांच साल में राज्य में पंजीकृत वाहनों की संख्या में जहां करीबन दस लाख की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, इंस्पेक्टरों की संख्या 123 से घट कर 94 पर आ गई है।
हालांकि इंस्पेक्टरों की कमी के मद्देनजर परिवहन व्यवस्था को ई-प्लेटफॉर्म पर लाने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। इस बाबत रोजाना ही नए एप व नई तकनीक से परिवहन विभाग को जोड़ा जा रहा है, लेकिन कई ऐसे काम है, जो बगैर इंस्पेक्टर के मुमकिन नहीं। मसलन वाहन की फिटनेस जांचना, नए वाहनों को पंजीकृत करना और चालक बनने वालों का टेस्ट लेना। इंस्पेक्टरों के अभाव का आलम यह है कि रोजाना ही सभी आरटीओ कार्यालयों पर वाहनों की लंबी कतार लगी रहती हैं। परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें तो वाहनों की संख्या धड़ल्ले से बढ़ती जा रही है। हर घर में वाहन के साथ ही वाणिज्यिक वाहन भी बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। यही वजह है कि हर दिन अलग तिथि दिए जाने के बावजूद सैकड़ों की संख्या में आरटीओ कार्यालयों में वाहनों को सर्टिफिकेट आॅफ फिटनेस (सीएफ) के लिए पहुंचते हुए देखा जा सकता है।
एक मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर ने बताया कि वाहनों की मौजूदा स्थिति देखने के साथ ही कई अन्य काम भी करने पड़ते हैं। घंटों मैदान में वाहनों की जांच के बाद अक्सर शाम को उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस का टेस्ट भी लेना पड़ता है। इसके अलावा अन्य आॅनलाइन व आॅफलाइन कागजी कारर्वाई से भी उन्हें रू-ब-रू होना पड़ता है। ऐसे में अक्सर वे (इंस्पेक्टर) अपने को दबाव में महसूस करते हैं। इस बाबत परिवहन विभाग के सूत्रों का कहना है कि जल्द ही मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के लिए नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी की जाएगी। अधिसूचना कब जारी होगी? और नियुक्ति प्रक्रिया कब तक पूरी हो जाएगी? इसके जवाब में परिवहन विभाग के एक अधिकारी ने केवल इतना कहा- इंतजार कीजिए।