महज धागा भर नहीं है कलावा, हर समस्या के लिए बांधा जाता है अलग रंग का यह ‘रक्षासूत्र’
हिंदू धर्म में हर धार्मिक कार्य में एक लाल धागा प्रयोग किया जाता है। इस लाल धागे को कलाई में पहने जाने के कारण कलावा कहा जाता है। कलावा तीन रंगों के मेल से बना होता है, इन तीन रंगों के लिए मान्यता है कि वो ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्तियों का प्रतीक मानी जाती हैं। कलावे को रक्षा सूत्र भी माना जाता है, इसे धारण करने से हमारे आस-पास की नकारात्मक शक्तियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसके साथ ही इस लाल धागे के लिए मान्यता है कि इसे धारण करने से देवता खुश होते हैं और हमारी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। शास्त्रों में इस लाल धागे के कई फायदे बताए गए हैं।
कलावे को कलाई में धारण किया जाता है जहां से नाड़ियां गुजरती हैं जो दिल से जुड़ी होती हैं। कलावा तीन धातुओं कफ, वात और पित्त को संतुलित करने में मदद करता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार कलावा धारण करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। इन मंत्रों के कारण ही एक धागा रक्षा सूत्र बनता है। कलावा सूत का हो तो शुभ माना जाता है। विशेष परिस्थितयों में ये रेशम का भी हो सकता है। इसके साथ लाल, पीला और सफेद रंग का कलावा ही सर्वोत्तम माना जाता है। माना जाता है कि कलावा व्यक्ति की सभी परेशानियों से उसे बचाता है और हर परेशानी के लिए विशेष रंग का कलावा होता है। जिन्हें विशेष मंत्रों के उच्चारण के बाद ही धारण किया जाता है।
शिक्षा और एकाग्रता के लिए नारंगी रंग का कलावा धारण करना ही शुभ माना जाता है। इस धागे को बृहस्पतिवार के दिन बांधना लाभदायक माना जाता है। इस कलावे को माता-पित से बंधवाया जा सकता है। विवाह संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करना शुभ माना जाता है। इसे शुक्रवार की सुबह धारण किया जाना चाहिए। आर्थिक लाभ के लिए नीले रंग का कलावा बांधा जा सकता है। शनिवार की शाम को इसे धारण करना चाहिए। हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा चाहते हैं तो लाल, पीले और सफेद रंग से मिश्रित कलावे को धारण करना चाहिए। इसी के साथ कलावा एक सप्ताह में बदल देना चाहिए। इससे पुराने कलावे से किसी तरह का लाभ नहीं होता है। पुराने कलावे को वृक्ष के नीचे रख देना चाहिए। इसके साथ उसे मिट्टी में भी दबाया जा सकता है।