घर में न हो गंगाजल तो इसका कर सकते हैं इस्तेमाल, करता है कई रोगों का नाश

हिंदू धर्म में गंगा जल को पवित्र माना जाता है, इसके साथ ही गंगा को पूजनीय माना गया है। हिंदू धर्म के साथ पूरी दुनिया में गंगा की पवित्रता प्रख्यात है। इसके जल को अमृत माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि भागीरथ मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। माना जाता है कि भागीरथ जी गंगा को जिस रास्ते से गंगा की धारा को हिमायल से लेकर आए थे उस मार्ग पर कई दिव्य औषधियां और वनस्पतियां पाई जाती हैं। इन्हीं कारणों से माता गंगा को पवित्र माना जाता है। ऋग्वेद और अन्य कई वेदों में मां गंगा की व्याख्या की गई है। गंगोत्री, ऋषिकेष, हरिद्वार, बनारस आदि स्थान धार्मिक दृष्टि से गंगा की पवित्रता के कारण ही प्रख्यात माने जाते हैं।

कई बार कारणों की वजह से लोग गंगा नहीं जा सकते हैं या गंगा जल अपने पास नहीं ला सकते हैं तो उन लोगों के लिए आज हम बताने जा रहे हैं कि घर पर कैसे गंगा जल बनाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले तांबे का बर्तन लें और उसे अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद उस लोटे में कहीं से भी पानी लें। यदि कुंए से पानी लिया जा सके तो वो सबसे उत्तम माना जाता है और प्राथमिकता दी जाती है। उस लोटे में पानी भरकर रख दें और कुछ तुलसी के पत्ते ड़ाल कर लोटे को ढ़क कर रख दें।

तुलसी को गुणकारी और लाभदायक औषधि माना जाता है। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार तुलसी को देवी का दर्जा दिया जाता है। तांबे की धातु को एक पवित्र धातु माना जाता है। माना जाता है कि तांबे में पानी रखने से उसके सभी किटाणु मर जाते हैं। इसी के साथ तुलसी के पत्ते रोगों का नाश करते हैं। ये जल कुछ दिनों में पवित्र हो जाता है और गंगा जल की अनुपस्थिति में इसका प्रयोग किया जा सकता है। आपने कई बार मंदिरों में देखा होगा कि तांबे के लोटे में तुलसी के पत्ते डाल कर रखा जाता है और आने वाले भक्त को प्रसाद के रुप में इसे दिया जाता है।

 

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