10×10 की झोपड़-पट्टी में रहने वाले प्रथमेश बने ISRO में साइंटिस्ट, पढ़िए उसके 10 साल के संघर्ष की कहानी

मुंबई के प्रथमेश हिरवे की सक्सेस स्टोरी जानकार आप भी जोश से भर जाएंगे। प्रथमेश इन दिनों अपनी कड़ी मेहनत की वजह से सुर्खियों में है। दरअसल प्रथमेश मुंबई के रहने वाले पहले ऐसे शख्स बन गए हैं जिन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की परीक्षा में सफलता हासिल की है। मुंबई की झुग्गी बस्ती फिल्टरपाड़ा में रहने वाले प्रथमेश के संघर्ष की आज सभी मिसाल दे रहे हैं। 10×10 के घर में अपने माता-पिता के साथ रहने वाले प्रथमेश ने कड़ी मेहतन के बाद इसरो की परीक्षा पास की है। लेकिन यहां तक पहुंचना उसके लिए आसान नहीं था। प्रथमेश ने 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई मराठी भाषा में की थी। मिड-डे डॉट कॉम से बातचीत में प्रथमेश बताते हैं, “डिप्लोमा के शुरुआती दो साल मेरे लिए काफी मुश्किल थे। मैंने 10वीं तक मराठी में पढ़ाई की थी और इसी वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई में भाषा मेरे लिए बड़ी मुश्किल बन गई। मैं क्लासरूम की पिछली डेस्क पर बैठता था। मैंने दूसरे साल में अपने शिक्षक को इसके बारे में बताया। उन्होंने मुझे शब्दकोश का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने की सलाह दी।”

प्रथमेश ने 2007 में भागुभाई मफतलाल पॉलिटेक्निक कॉलेज में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में एडमिशन लिया था। L&T और टाटा पावर में इंटर्नशिप के दौरान ही उसने अपनी पढ़ाई जारी रखने का फैसला लिया और फिर श्रीमती इंदिरा गांधी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई में दाखिला लिया। यहां से 2014 में उनकी बीटेक की पढ़ाई पूरी हुई। खबर के मुताबिक, प्रथमेश को एक काउंसिलर ने साइन्स के बजाए आर्ट्स स्ट्रीम चुनने की सलाह भी दी थी। लेकिन वह हमेशा से ही इंजीनियर बनना चाहता था।

प्रथमेश को कई बार नाकामी का सामना भी करना पड़ा लेकिन उनके इरादे डगमगाए नहीं। उन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा दी लेकिन कामयाब नहीं हो सके। इसके बाद उन्होंने और भी बड़ा लक्ष्य चुना और इसरो में अप्लाई किया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और अब प्रथमेश इसरो में बतौर एक वैज्ञानिक काम करेंगे। लगभग 16 हजार एप्लीकेशन में से सिर्फ 9 लोग चुने गए और प्रथमेश भी उनमें से एक है। प्रथमेश ने 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है। वह बिना सोए, दिन-रात लगातार पढ़ाई किया करते थे। प्रथमेश की पोस्टिंग अब चंडीगढ़ में होगी। अब उनका सपना है कि वह अपने माता-पिता को अच्छा घर दे सकें।

 

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