बिहार: कहलगांव में बदमाशों ने मछुआरे की गोली मारकर की हत्या, ग्रामीणों ने NH 80 पर लाश रख जताया विरोध

गंगापार नवगछिया के गोपालपुर थाना के तहत तीनटंगा दियारा में गुरुवार शाम एक मछुआरे की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी। मृतक की पहचान कहलगांव के कागजी टोला के बलराम साहनी (32) के रूप में हुई है। कहलगांव के डीएसपी रामानंद कौशल ने घटना की पुष्टि की। हत्या की खबर पाकर कहलगांव के लोग उग्र हो गए और लाश को पुलिस थाने के सामने एनएच 80 सड़क पर रखकर आवाजाही रोक दी। ये लोग हत्यारों को फौरन गिरफ्तार करने और मुआवजे की मांग को लेकर अड़े हुए हैं।

कहा जा रहा है कि पीड़ित अपनी नाव लेकर दिन में मछली मारने अपने घर कहलगांव कागजी टोला से गंगापार तीनटंगा दियारा गया हुआ था। पीड़ित के अलावा बाकी मछुआरे दूसरी तरफ गए हुए थे। मछली पकड़ने के बाद शाम को सब इकठ्ठा होकर अपनी-अपनी नाव से वापस लौट रहे थे। इसी दौरान उन्होंने बलराम की खोज की तो वह अपनी नाव में लहूलुहान अवस्था में मरा पड़ा मिला। बलराम की यह हालत देखकर सभी मछुआरे सन्न रह गए और लाश को उठाकर कहलगांव थाने का घेराव कर प्रदर्शन करने लगे।

डीएसपी के मुताबिक, उक्त घटना गोपालपुर थाने के तहत हुई है। ऐसे में हालात सामान्य होने के बाद मृतक के परिजनों का बयान दर्ज कर एफआईआर लिखने के लिए वहां भेजा जाएगा। यहां यह बताना जरूरी है कि नवगछिया में इन दिनों हत्याओं का दौर चल रहा है। हाल फिलहाल दस लोगों की हत्या हो चुकी है। डीआइजी विकास वैभव खुद अपराधियों की नकेल कसने के लिए इलाके का कई दफा दौरा कर चुके हैं। नाकामयाब पुलिस अधिकारियों को निलंबित भी किया गया है।

गौरतलब है कि चार लोगों को अगवाकर उनकी हत्या कर गंगानदी में फेंक देने के मामले में बिहपुर थाना में तैनात 20 सिपाहियों और अधिकारियों का तबादला कर दिया गया था। इसके साथ ही थानेदार को निलंबित भी किया गया था। इन चार मृतकों में से अबतक एक की लाश ही पुलिस ढूंढ पाई है। इसी थाने के एक महादलित परिवार के तीन लोगों की धारदार हथियार से की गई निर्मम हत्या के मामले में हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला है।

इसी घटना की शिकार इलाज के लिए पटना मेडिकल अस्पताल में भर्ती बिंदी कुमारी जिंदगी और मौत से लड़ रही हैं। बीते दस दिन से वह अचेत हैं। वह बोलने की स्थिति में हों तो पुलिस को हत्या का राज पता चले। कहा जा सकता है कि भागलपुर जिले का नवगछिया इलाका बदमाशों के शिकंजे में आ गया है। जल माफियावों का अलग वर्चस्व कायम हो गया है। मछुआरों से जब तब इनकी हिंसक झड़पें होती रहती हैं। इनमें कई मछुआरे मारे जा चुके हैं। गुरुवार को हुई बलराम साहनी की हत्या ने एक बार फिर इनमें दहशत पैदा कर दिया है।

 

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