जाट आरक्षण और राम रहीम प्रकरण में मिली फजीहत के बाद हिमालय की ठंडी वादियों में खट्टर सरकार करेगी मंथन

हरियाणा में अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान जाट आरक्षण आंदोलन और गुरमीत राम रहीम प्रकरण में बुरी तरह फजीहत के बाद हरियाणा सरकार अब हिमाचल की वादियों में दो दिन तक मंथन करेगी। यह मंथन शिविर आयोजन से पहले ही विवादों में घिर गया है। क्योंकि इसमें प्रदेश सरकार और वरिष्ठ अधिकारियों को नैतिकता व कुशल प्रबंधन का पाठ पढ़ाने के लिए आने वालों के नाम पर आइएएस लॉबी में मतभेद हैं। दूसरी ओर कड़ाके की ठंड में हिमाचल में इस आयोजन के औचित्य पर भी सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर द्वारा 15 से 17 दिसंबर तक हिमाचल के सोलन जिला स्थित टिंबर ट्रेल में मंथन शिविर का आयोजन किया जा रहा है। इसमें हरियाणा के तमाम मंत्री तथा शीर्ष अधिकारी भाग लेंगे। अभी तक डीजीपी को छोड़ अन्य आइपीएस अधिकारियों के इस बैठक में शामिल होने पर पूरी तरह सहमति नहीं बन पाई है। सीएमओ द्वारा आधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि तीनों दिन शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकों का अलग-अलग एजंडा होगा, लेकिन मुख्य लक्ष्य पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए भविष्य के सुधार का रहेगा, ताकि कार्यकर्ता भी खुश रहें और आम जनता का भरोसा भी जीता जा सके।

हर मंत्री से उसकी फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी और विपक्ष को घेरने की रणनीति पूछी जाएगी। उधर सूत्रों की मानें तो टिंबर ट्रेल में लाखों रुपए खर्च करके इस मंथन शिविर में जिन लोगों को विशेष व्याख्यान देने के लिए बुलाया जा रहा है। उनके नाम पर विवाद खड़ा हो गया है। सीएमओ के एक आला अधिकारी द्वारा इस शिविर में कुशल प्रबंधन के गुर सिखाने तथा अतीत में हुए विवाद से उबरकर बेहतर तरीके से सरकार का संचालन करने पर मंथन के लिए जिन लोगों को बुलाया जा रहा है, वे पूर्व में खुलकर भाजपा का विरोध करते हुए कांग्रेस का समर्थन करते रहे हैं। पता चला है कि इस मंथन शिविर में आने वाले दो प्रतिनिधियों के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ करीबी संबंध रहे हैं। हरियाणा के कई वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों ने यहां आने वाले बाहरी विशेषज्ञों के नामों पर आपत्ति जताई है। इसके अलावा अधिकारियों की एक लॉबी मौसम का तर्क देते हुए हिमाचल में इस आयोजन को  लेकर सीएमओ के अधिकारियों के फैसले का विरोध कर रही है। हरियाणा सरकार द्वारा पहली बार हिमाचल में किए जा रहे इस आयोजन के औचित्य पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। हाल ही में राम रहीम प्रकरण व उससे पहले जाट आरक्षण आंदोलन में हुई हिंसा के कारण सरकार विपक्ष के निशाने पर रही है। ऐसे में हिमाचल में होने जा रहे मंथन शिविर के पीछे की वास्तविक कहानी अभी सार्वजनिक नहीं रही है। जिसके चलते सरकार और विपक्षी दल फिर से आमने-सामने होने की तैयारी में हैं।

असली एजंडा

सीएमओ द्वारा आधिकारिक तौर पर कहा जा रहा है कि तीनों दिन शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठकों का अलग-अलग एजंडा होगा, लेकिन मुख्य लक्ष्य पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए भविष्य के सुधार का रहेगा, ताकि कार्यकर्ता भी खुश रहें और आम जनता का भरोसा भी जीता जा सके। हर मंत्री से उसकी फ्लैगशिप योजनाओं के बारे में जानकारी हासिल की जाएगी और विपक्ष को घेरने की रणनीति पूछी जाएगी।

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