कालाष्टमी व्रत 2017: जानिए क्या है इस दिन का महत्व, क्यों रखा जाता है भैरव बाबा के लिए व्रत
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव का जन्म हुआ था। इसे भैरव अष्टमी के रुप में भी जाना जाता है। भैरव बाबा को भगवान शिव का रुप माना जाता है। भैरव रुप भगवान शिव का प्रचंड रुप माना जाता है। हिंदू पंचाग के अनुसार हर माह की कृष्ण पक्ष तिथि के दिन भैरव की पूजा करके इस दिन को कालाष्टमी का नाम दिया जाता है। इसी के साथ हर माह आने वाली अष्टमी के लिए कथा प्रचलित है कि इस दिन माता दुर्गा की पूजा की जाती है।
नारद पुराण के अनुसार माना जाता है कि कालाष्टमी के दिन कालभैरव और मां दुर्गा की पूजा करना शुभ माना जाता है। कालाष्टमी की रात देवी काली की उपासना की जाती है। इस दिन उस प्रकार से उपासना की जाती है जैसे नवरात्रि में सप्तमी को कालरात्रि की पूजा की जाती है। इस दिन शक्ति अनुसार रात को माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन और जागरण करना शुभ माना जाता है। इस दिन कुत्ते को भोजन करवाना शुभ माना जाता है, कालभैरव की सवारी कुत्ते को माना जाता है।
इस दिन का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति कालभैरव की पूजा करता है। इसके लिए माना जाता है कि कालभैरव के पूजन से सभी कष्ट मिट जाते हैं। रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है। इस दिन शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। माना जाता है कि इस भैरव बाबा की पूजा करने के बाद मदिरा अर्पित करने का प्रचलन भी होता है।