सरकारी समयसीमा से बढ़ी अफसरों और बिल्डरों की बेचैनी

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप दिसंबर तक 50 हजार खरीदारों को फ्लैट का कब्जा दिलाने के लिए प्राधिकरण अफसरों ने दिन-रात एक कर रखे हैं, वहीं बिल्डरों की संस्था क्रेडाई इस लक्ष्य को मुश्किल मान रही है। हालांकि बिल्डरों के खिलाफ सरकार का कड़ा रुख खरीदारों के पक्ष में जा रहा है। कड़ी कार्रवाई से डरकर बिल्डर कंपनियां भी ज्यादा से ज्यादा फ्लैटों को कब्जा देने लायक बनाने में लग गई हैं। दूसरी तरफ, प्राधिकरण ने साफ कर दिया है कि कब्जा देने के साथ ही बिल्डरों को वे सभी सुविधाएं भी उपलब्ध करानी होंगी, जो बिल्डर-खरीदार करार (बिल्डर बायर एग्रीमेंट) में दर्शाई गई हैं। प्राधिकरण का दस्ता करार के आधार पर सुविधाओं का जायजा लेने के बाद ही अधिभोग प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिेकट) जारी करेगा।
दिसंबर के अंत तक कब्जा दिलाने की तैयारी के तहत प्राधिकरण अधिकारी बिल्डरों के परियोजना स्थल पर लगातार नजर रख रहे हैं। रोजाना होने वाली प्रगति की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

अगले 10 दिनों में बिल्डरों के साथ बैठक कर फिर से समीक्षा रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिसे शासन को भेजा जाएगा। फिलहाल नोएडा की दो बिल्डर कंपनियां 2500 से ज्यादा खरीदारों को कब्जा देने जा रही हैं। अब तक करीब 3800 फ्लैटों का कब्जा दिया जा चुका है। दिसंबर के अंत तक सुपरटेक बिल्डर और एबीए कॉर्प की तरफ से खरीदारों को कब्जा देने की तैयारी है। सुपरटेक नोएडा में 1815, ग्रेटर नोएडा में 4950 और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 2023 फ्लैटों का कब्जा देने जा रहा है। वहीं एबीए कॉर्प भी इस महीने के अंत तक निवेशकों को कब्जा देने की तैयारी कर रहा है। एबीए कॉर्प ने क्लियो काउंटी में 800 फ्लैटों का कब्जा देना शुरू कर दिया है। हालांकि के्रडाई पदाधिकारी मान रहे हैं कि दिसंबर के बाकी बचे 20 दिनों के भीतर पूरे 50 हजार फ्लैटों का कब्जा देना बेहद मुश्किल है, लेकिन इसे पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

बता दें कि फ्लैट खरीदार मामले पर तीन सदस्यीय मंत्री समिति के साथ हुई बैठक में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे प्राधिकरण, तीनों ने कुल 32 हजार फ्लैट दिए जाने का प्रस्ताव पेश किया था। इनमें से नोएडा में 11 हजार, ग्रेटर नोएडा में करीब 14 हजार और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में 7500 फ्लैट शामिल हैं। दूसरी तरफ जानकारों का मानना है कि बिल्डर-खरीदार करार की सभी शर्तों को पूरा करते हुए अधिभोग प्रमाण पत्र जारी करने की शर्त इस संख्या को घटा सकती है। ऐसे में बीच का रास्ता निकाल कर तीनों पक्षों बिल्डर, खरीदार और सरकार के हित साधे जा सकते हैं।

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