बीजेपी छोड़ चुके सांसद ने राहुल गांधी के साथ मंच किया साझा, मोदी पर लगाया ‘अभद्रता’ का आरोप

हाल ही में लोकसभा और भाजपा से इस्तीफा दे चुके नाना पटोले ने सोमवार को गांधीनगर में एक चुनाव रैली में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मंच साझा किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा। नाना पटोले ने दावा किया कि पीएम मोदी ने उनसे मिलने के लिए गये वरिष्ठ सांसदों के साथ अभद्र व्यवहार किया था। रैली को संबोधित करते हुये पटोले ने कहा कि उन्होंने भाजपा से अलग होने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि नरेन्द्र मोदी किसानों के मुद्दों को सुलझाने में नाकाम रहे और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के अपने वादों पर कायम नहीं रहे। महाराष्ट्र के भंडारा-गोंडिया संसदीय क्षेत्र से पूर्व सांसद ने आरोप लगाया कि एक बार मोदी से मिलने उनके आवास पर गये वरिष्ठ सांसदों के साथ उन्होंने अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। नेता नाना पटोले ने गुजरात चुनाव से ठीक पहले पार्टी से और लोकसभा सदस्यता से शुक्रवार (8 दिसंबर) को इस्तीफा दे दिया। इसे भाजपा के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पटोले ने इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाया था कि वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते। भंडारा-गोंदिया से सांसद पटोले ने नोटबंदी, जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) और किसानों के प्रति मोदी सरकार के रवैए की खुलकर आलोचना की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2014 में पद संभालने के बाद भाजपा और लोकसभा से इस्तीफा देने वाले पटोले पहले सांसद हैं। इससे पहले उन्होंने एक जनसभा में यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि प्रधानमंत्री को सवाल पूछा जाना पसंद नहीं है और वह अपनी आलोचना नहीं सुनना चाहते। शुक्रवार (8 दिसंबर) को उन्होंने कहा कि वह “पार्टी इसलिए छोड़ रहे हैं, क्योंकि वह काफी दुखी हैं और पार्टी द्वारा खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं।” लोकसभा सचिवालय को अपना इस्तीफा सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने मीडिया से कहा, “जिस वजह से मैं पार्टी(भाजपा) में शामिल हुआ था, वह झूठा साबित हुआ। लेकिन अब मैं(इस्तीफा देने के बाद) अपने भीतर की बैचेनी से मुक्त हो गया हूं।” उन्होंने कहा, “यह सरकार लोगों को आश्वासन देकर, विशेषकर किसानों को आश्वासन देकर सत्ता में आई थी। इसने आश्वासन दिया था कि (एम. एस.) स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को लागू करेगी, ताकि किसानों की आय दोगुनी हो। लेकिन इसने पहला काम यह किया कि सर्वोच्च न्यायालय को कहा कि वे उन सिफारिशों को लागू करने नहीं जा रहे हैं।”

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