गुजरात चुनाव 2017: भारत के पहले ‘सी प्‍लेन’ पर पीएम नरेंद्र मोदी ने झूठ बोला? वेबसाइट से हटाया दावा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट www.narendramodi.in पर 12 दिसंबर को एक स्टोरी की हेडलाइन थी-सीप्लेन से सफर करने वाले पीएम मोदी भारत के पहले पैसेंजर हैं। मंगलवार को दूसरे चरण के मतदान से पहले चुनावी कैंपेन के तहत पीएम मोदी ने अहमदाबाद की साबरमती नदी में मेहसाणा के धरोई बांध तक सीप्लेन से सफर किया। हालांकि बाद में इस हेडलाइन को बदल दिया गया। भारत में पहली सीप्लेन यात्रा का दावा बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी किया गया था। इसी को अन्य बीजेपी नेताओं ने भी अपने-अपने अकाउंट से ट्वीट किया। विभिन्न टीवी चैनलों ने भी इसी बात को अपनी हेडिंग में शामिल किया।

कहा गया कि सीप्लेन यात्रा भारत में यातायात की सूरत ही बदल देगी। लेकिन क्या वाकई यह पहली सीप्लेन सर्विस थी। जवाब है नहीं। अॉल्ट न्यूज के मुताबिक भारत में पहली कमर्शियल सीप्लेन सर्विस साल 2010 में शुरू की गई थी। उस वर्ष दिसंबर में अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह प्रशासन और सार्वजनिक क्षेत्र की हेलिकॉप्टर कंपनी पवन हंस ने संयुक्त रूप से जल हंस नाम से एक सर्विस शुरू की थी। तत्कालीन नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल ने हाल ही में ट्वीट कर इसकी पुष्टि की है। जल हंस सेवा अब बंद कर दी गई है।

भारत में सीप्लेन सर्विस शुरू करने की एक पहल जून 2013 में केरल सरकार ने की थी। लेकिन स्थानीय मतस्य समुदाय द्वारा विरोध जताए जाने से यह प्रोजेक्ट फेल हो गया। इसे लेकर तत्कालीन केरल के चीफ मिनिस्टर ओमन चांडी ने ट्वी भी किया था। सीप्लेन सर्विस को भारत में लाने की पहल सिर्फ सरकार ने की नहीं की। कई प्राइवेट कंपनियों ने 2011-12 में इसे लॉन्च करने का एेलान किया। सीबर्ड सीप्लेन प्राइवेट लिमिटेड को 2011 में इसमें शामिल किया गया था। इस कंपनी ने केरल और लक्षद्वीप के लिए सर्विस मुहैया कराने का एेलान किया था।
यह भी बात सामने आई कि सीप्लेन से यात्रा के दौरान कई सुरक्षा मानकों का ध्यान नहीं रखा गया। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि यह एयरक्राफ्ट सिंगल इंजन विमान था, मतलब साफ है कि अगर इंजन गलती से फेल हो जाता तो बड़ी गड़बड़ हो सकती थी। सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा मानकों के मुद्दे को पीएम मोदी के सामने उठाया भी गया था, लेकिन उन्होंने उसे नजरअंदाज कर दिया और जान जोखिम में डालकर यात्रा की।

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