माता-पिता ने कब्र पर लिख दिए उस गाने के बोल जिसे सुन कोमा से उठ बैठा था बच्चा, पढ़िए पूरी कहानी
चमत्कार होते हैं और इसी दुनिया में होते हैं। आज हम आपको बॉलीवुड के एक गाने से जुड़े एक रोचक किस्से के बारे में बता रहे हैं जिसे जानकर आपकी आंखें भी नम हो जाएंगी। यह किस्सा है बॉलीवुड के एक गाने और 5 साल के बच्चे के निधन से जुड़ा है। वह बच्चा जो एक गाना सुनकर कोमा से भी उठकर बैठ गया था। साल 1968 में रिलीज हुई फिल्म ‘साथी’ का एक उस बच्चे के माता-पिता की आंखों में आंसू ले आता था जो महीनों-महीनों बिस्तर से भी उठने में असमर्थ था। चलिए बताते हैं आखिर क्या था पूरा मामला।
यह किसी फिल्म की नहीं बल्कि मुंबई के उस बिजनेसमैन पिता की सच्ची कहानी है, जिसका बच्चा जन्म से मेंटली डिसेबल था। इस बिजनेसमैन का नाम था अहमद भाई कतरी जिनका बेटा सुन नहीं सकता था और महीनों-महीनों तक बिस्तर में गुमसुम पड़ा रहता था। बच्चे के इलाज के लिए माता-पिता ने पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन मायूसी ही हाथ लगी।
हर तरफ से हताश मां-बाप को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था लेकिन एक दिन एक गाने ने उनकी जिंदगी में नई उम्मीद जगा दी। बिस्तर में गुमसुम लेटे बच्चे ने जैसे ही रेडियो पर एक सुना वह न सिर्फ बिस्तर से उठ बैठा बल्कि हंसने लगा। बच्चे का यह बर्ताव मां-बाप के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था लेकिन जैसे ही गाना खत्म हुआ वह बच्चा वापस पहले की तरह बिस्तर में लेट गया।
पिता ने तुरंत बाजार से एलपी प्लेयर और उस गाने का रिकॉर्ड खरीदा और बच्चे के पास ले जाकर चलाया। बच्चा वापस गाना सुनकर उठ बैठा, हंसने-कूदने लगा और खाना भी खाने लगा था। यह देख माता-पिता की आंखों से आंसू निकल आए। अब बच्चा जब तक जागता था घर में वही गाना बजता रहता था।
एक दिन बच्चा काफी बीमार हो गया उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, बच्चा कोमा में चला गया और डॉक्टर्स ने इस बार हाथ खड़े कर दिए। डॉक्टर्स ने माता-पिता को बताया अब इस बच्चे को बचाया नहीं जा सकता। लिहाजा बच्चे को वापस घर ले आए। मायूस मां-बाप ने आखिरी बार किसी चमत्कार की आस में वह गाना दोबारा बजाया और चमत्कार हुआ भी। जो बच्चा 7 दिन से कोमा में था उसने आंखें खोली, माता-पिता का हाथ पकड़ा और हंसने लगा। यह देख वहां मौजूद हर शख्स की आंखों में आंसू आ गए लेकिन इस बार गाना खत्म होने के साथ ही बच्चे ने आखिरी सांस ली और हमेशा के लिए आंखें मूंद ली।
उस बच्चे की कब्र मुंबई की सोना पुर कब्रिस्तान में बनी हुई है। उसकी कब्र पर लगी तख्ती पर उसी गाने के बोल लिखे हुए हैं ‘आंखें खुली थी या आए थे वो भी नजर मुझे, फिर क्या हुआ नहीं है कुछ इसकी खबर मुझे’।
यह गाना साल 1968 में रिलीज हुई फिल्म साथी का था, जो बॉलीवुड के मशहूर सिंगर मुकेश ने गाया था। इस फिल्म में लीड हीरो राजेंद्र कुमार थे और उनके साथ एक्ट्रेस वैजयंतीमाला थीं।