राज्यसभा में मंत्रियों को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दी ‘सलाह’, बोले-एेसे शब्दों के इस्तेमाल से बचें
एम वेंकैया नायडू ने राज्यसभा के सभापति के रूप में सदन संचालन के अपने पहले दिन मंत्रियों और सदस्यों को एक सुझाव देते हुए कहा कि उन्हें सदन के पटल पर कागजात एवं रिपोर्ट पेश करते हुए ‘विनती’ जैसे औपनिवेशिक शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए। शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन आज जब मंत्री दस्तावेजों को सदन के पटल पर रख रहे थे तो नायडू ने कहा कि वह सदन को एक सुझाव देना चाहते हैं कि दस्तावेज रखते समय किसी को भी इन शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए, ‘‘मैं विनती करता हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘बस यही कहिए कि मैं दस्तावेज सदन के पटल पर रखने के लिए खड़ा हुआ हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विनती करने की जरूरत नहीं, यह स्वतंत्र भारत है।’’ नायडू ने कहा कि यह उनका सुझाव है, आदेश नहीं।
सभापति ने आज दिवंगत पूर्व सदस्यों के योगदान का उल्लेख अपने स्थान पर खड़े होकर किया। उनके पूर्ववर्ती हामिद अंसारी और भैरों सिंह शेखावत प्राय: ऐसे उल्लेखों को अपने स्थान पर बैठ कर ही पढ़ते थे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी इस तरह के श्रद्धांजलि उल्लेखों को अपने स्थान पर खड़े होकर ही पढ़ती हैं।
नायडू इस वर्ष अगस्त में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति बने थे।
गौरतलब है कि राज्यसभा में शीतकालीन सत्र का पहला ही दिन काफी हंगामेदार रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर लगाए गए आरोपों और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता शरद यादव को अयोग्य घोषित करने के मुद्दों को लेकर हंगामे के कारण भोजनकाल से पहले सदन की कार्यवाही बार-बार स्थगित हुई। सदन की कार्यवाही संक्षिप्त रूप से स्थगित किए जाने के बाद प्रश्नकाल के लिए जैसे ही दोबारा शुरू हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह पर आरोप लगाए गए आरोपों को लेकर विपक्ष और सरकार के बीच गर्मागर्म बहस हुई और सदन को अपराह्न् 2.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “यह कोई साधारण आरोप नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री, पूर्व उपराष्ट्रपति और कई सेवानिवृत्त राजनयिकों की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाया गया है।” उन्होंने इस मुद्दे पर नियम 267 के तहत चर्चा कराए जाने की मांग की।