बाल यौन शोषणः ये 6 तरीके अपनाकर अपने बच्चे को यौन शोषण से रख सकते हैं सुरक्षित
स्कूल से या फिर बाहर से खेलकर जब आपका बच्चा वापस घर आता है और गुमसुम रहता है या फिर वह रोता-कराहता घर में दाखिल होता है या घर से बाहर किसी से डरता है तो आप सतर्क हो जाइए। ये लक्षण कहीं न कहीं आपके बच्चे के यौन शोषण की ओर संकेत करते हैं। यौन शोषण की अनेक घटनाएं आजकल सामने आ रही हैं। इनमें शोषण करने वाला ज्यादातर कोई करीबी रिश्तेदार, स्कूल बस का ड्राइवर या फिर पास-पड़ोस का कोई व्यक्ति होता है। बच्चों को चूंकि इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती इसलिए उन्हें पता नहीं चलता कि उनके साथ क्या हुआ है या फिर उन्हें यह बात किसे बतानी है? ऐसे में केवल आप अपने बच्चे को यौन शोषण जैसी घटनाओं से बचा सकते हैं। उन्हें इस बारे में थोड़ी बहुत जानकारी देकर और इन कुछ टिप्स की मदद से, जिसके बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
1. बच्चों को उनके बॉडी पार्ट्स के बारे में बताएं – यौन शोषण से बच्चों को बचाने के लिए उन्हें इस बारे में बताना बेहद जरूरी है। आप अपने बच्चों को उनके बॉडी पार्ट्स के बारे में बताएं। उन्हें यह बताएं कि उनके शरीर का कौन सा हिस्सा बेहद प्राइवेट है जिन्हें कोई भी नहीं छू सकता।
2. बच्चे का टाइमटेबल जानने की कोशिश करें – स्कूल से घर लौटने के बाद बच्चे से बात करने की कोशिश करें। उससे पूछें कि उसने दिन भर क्या-क्या किया। किन-किन लोगों से वह मिला। उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित करेंगे तो वह आपको सब कुछ बता पाने की हिम्मत कर पाएंगे।
3. बच्चों से बनाएं बेहतर कम्यूनिकेशन – यौन शोषण जैसी घटनाओं को बच्चे किसी को भी बताने से हिचकते हैं। ऐसा वो आपके साथ भी कर सकते हैं, भले ही आप उसके माता-पिता हों। ऐसे में जरूरी है कि आप बच्चो के साथ एक मजबूत कम्यूनिकेशन बनाए रखें। कोशिश करें आपसे बात करते वक्त बच्चे आपसे डरे नहीं। उन्हें भरोसा हो कि आप उनकी मदद करेंगे और उन्हें सुरक्षा देंगे।
4. सही-गलत की कराएं पहचान – बच्चों को बैड टच के बारे में बताएं। उन्हें यह भी समझाने की कोशिश करें कि उनके साथ होने वाला कौन सा बर्ताव सही है और कौन सा गलत। उन्हें निर्देश दीजिए कि अगर उनके साथ कुछ भी गलत बर्ताव होता है तो वह तुरं आपको सूचित करें।
5. सीक्रेट फैक्टर – बहुत से यौन हमलावर बच्चों को यौन शोषण के बारे में किसी से न बताने के लिए कहते हैं। वह इसे दो लोगों के बीच का सीक्रेट फैक्टर कहते हैं। आप बच्चों को समझाइए कि मम्मी-पापा से कुछ भी न छिपाएं।
6. कौन है भरोसेमंद – अपने बच्चों को बताएं कि वह किन पर भरोसा करे और किन पर न करे। इसके अलावा बच्चों के केयर टेकर, टीचर और हर वो शख्स जो आपके बच्चे से जुड़ा है, उनका चुनाव करते वक्त सावधानी बरतें। विश्वस्त लोगों को ही ऐसी जिम्मेदारी सौंपें।