मुरैना के सौ से ज्यादा संचालक स्कूलों में ताला डाल कर फरार

मोटी रकम लेकर हाई स्कूल और इंटर पास कराने की गारंटी देने वाले मुरैना के लगभग 102 निजी स्कूलों के संचालकों को कलक्टर भास्कर लाक्षाकार जेल भेजने पर आमादा हैं। स्कूल संचालकों की तालाबंदी की धमकी का भी कलक्टर पर कोई असर नही हुआ है। उनके निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी ने इन सभी स्कूलों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इन सभी स्कूलों पर इस साल कक्षा 10 और 12 में लगभग 32 हजार फर्जी छात्रों को प्रवेश देने का आरोप है। निजी स्कूलों में कक्षा 10 और 12 में जिले और प्रदेश से बाहर के छात्रों को संस्थागत छात्र के तौर पर दर्ज कर उन्हें नकल करा पास कराने का धंधा चंबल के मुरैना और भिंड जिलों में दशकों से होता आया है। कुछ लोग स्कूल खोलते ही इसी काम के लिए हैं।

ऐसे स्कूलों के लिए उन्हें न कोई बिल्डिंग बनवानी होती है, न कोई स्टाफ रखना होता है, न कोई और तामझाम जुटाना होता है। बस एक अदद रजिस्ट्रेशन की जरूरत होती है, जिसे हासिल करने के वैसे तो बहुत सारे नियम-कायदे हैं लेकिन पैसे देकर सारे नियम-कायदे कागजों में लिख कर पूरे कर दिए जाते है और हाई स्कूल और इंटर कॉलेज की मान्यता आसानी से मिल जाती है। ये स्कूल कैसे चलते हैं इसको समझने के लिए एक ही उदाहरण काफी होगा। जिला शिक्षा अधिकारी को स्कूलों के भौतिक सत्यापन में कई स्कूल ऐसे मिले जिनमें कक्षा 9 या 11 में पिछले साल एक भी एडमीशन नही हुआ था लेकिन इस साल 10वीं और 12वीं की परीक्षा के लिए अचानक 100 से 300 छात्रों ने इन स्कूलों में प्रवेश ले लिया। गड़बड़ी नियमित रूप से चलने वाले स्कूलों में भी मिली। निजी स्कूलों में चल रहे इस गोरखधंधे का खुलासा पहले भिंड में हुआ था।

वहां स्कूलों पर कानूनी शिकंजा कसा तो उन्होंने यह धंधा अपने यहां से बंद कर मुरैना और ग्वालियर के स्कूलों की तरफ शिफ्ट कर दिया। राज्य का माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस साल भी नकल रोकने की रणनीति बनाने में लगा था। उस दौरान ही बोर्ड के अध्यक्ष एसआर मोहंती का ध्यान मुरैना और ग्वालियर के स्कूलों के 9वीं 10वीं, 11वीं और 12वीं की छात्र संख्या में आए उछाल की तरफ गया। मुरैना के 64 स्कूलों में कक्षा 9 में 7481 बच्चों ने संस्थागत छात्र के तौर पर परीक्षा दी थी लेकिन 10वीं के लिए 18511 छात्र इन स्कूलों में प्रवेश ले चुके थे। इसी तरह जिले के 38 स्कूलों में 11वीं के लिए केवल 289 छात्रों ने परीक्षा दी थी लेकिन 12वी के लिए इन 38 स्कूलों में 21 हजार 54 छात्र प्रवेश ले चुके थे। इस तरह दोनों क्लासों के लिए इन 102 स्कूलों में 31795 अतिरिक्त छात्र पंजीकृत होने से बोर्ड के कान खड़े हुए। उसने पहले जिला कलक्टर को इन स्कूलों की मान्यता आदि का काम सौंपा।

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