स्कूल में गर्ल स्टूडेंट को गले लगाया, ‘सांड’ बताकर दोनों को निकाला, केरल हाई कोर्ट ने सही ठहराया फैसला
केरल के एक स्कूल में अजीबोगरीब घटना सामने आई है। एक छात्र ने गर्ल स्टूडेंट को गले से लगा लिया था। वहां मौजूद एक शिक्षिका ने दोनों को गले लगते देख लिया था। उन्होंने वाइस प्रिंसिपल से इसकी शिकायत की थी। इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने छात्र को ‘सांड’ करार देते हुए अनुशासन के नाम पर दोनों को स्कूल से एक सप्ताह के लिए निष्कासित करने का फरमान सुना दिया था। यह मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया, जहां कोर्ट ने स्कूल के फैसले को सही माना। कोर्ट ने बाल अधिकार आयोग के अंतरिम फैसले को रद करते हुए यह निर्णय दिया था।
यह मामला केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम स्थित सेंट थॉमस सेंट्रल स्कूल का है। स्कूल प्रबंधन अपने फैसले के पक्ष में साक्ष्य जुटाने के लिए दोनों छात्रों के इंस्टाग्राम अकाउंट तक भी पहुंच गया था। जानकारी के मुताबिक, सोलह वर्षीय छात्र की समस्या 21 जुलाई को शुरू हुई थी। गायन प्रतियोगिता खत्म होने के बाद छात्र-छात्रा स्कूल की सीढ़ियों से उतर रहे थे जब छात्र ने छात्रा को गले लगाकर बेहतर प्रदर्शन के लिए उसे बधाई दी थी। उसी वक्त वहां से एक शिक्षिका गुजर रही थीं, जिन्होंने दोनों को गले मिलते हुए देख लिया था। उन्होंने दोनों की वाइस प्रिंसिपल के समक्ष पेशी करवाई थी। दोनों की इस हरकत को अनुशासनहीनता मानते हुए उन्हें एक सप्ताह के लिए स्कूल न आने का निर्देश दिया गया था। छात्र ने बताया कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिए बगैर ही आदेश दे दिया था। दोनों से लिखित में माफीनामा भी लिया गया था।
इतना सबकुछ होने के बाद वाइस प्रिंसिपल ने छात्र और छात्रा के क्लास टीचर को बुलाया, जिसके बाद स्थिति बिगड़ गई। क्लास टीचर छात्र को माफ करने के पक्ष में नहीं थीं। इसके बाद मार थोमा एजुकेशनल सोसाइटी के सचिव राजन वर्गीज ने छात्र के पिता को 24 सितंबर को स्कूल बुलाया था। उनके सामने कथित तौर पर छात्र के साथ दुर्व्यवहार किया गया। उन्होंने बताया कि उनके बेटे को ‘सांड’ तक कहा गया था। साथ ही बेटे का इस तरह से लालन-पालन करने के बजाय उसे मार देने तक की बात भी कही थी। आखिरकार छात्र के पिता ने बाल अधिकार आयोग से संपर्क साधा। आयोग ने चार अक्टूबर को अपने अंतरिम आदेश में इस घटना से छात्र की पढ़ाई बाधित न होने का अंतरिम आदेश दिया था। छात्र के पिता ने बताया कि स्कूल ने फैसले को मानने से इंकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने केरल हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने 12 दिसंबर को बाल आयोग के अंतरिम आदेश को रद करते हुए स्कूल के फैसले को सही ठहराया था।