Gujarat Election Result 2017 पर त्वरित टिप्पणी: युवाओं की तिकड़ी पर दांव लगाना रहा अच्छा, बढ़ा राहुल का कद
गुजरात चुनाव के नतीजे अब चाहे जो भी हों, लेकिन शुरुआती कई राउंड की मतगणना के बाद एक चीज बिलकुल साफ हो चुकी है। कांग्रेस ने बीजेपी को उसके ही गढ़ में कड़ी टक्कर दी है। जो बीजेपी 150 सीटें जीतने के मकसद से उतरी थी, वो पिछली बार जितनी सीटें जीतते भी नहीं नजर आ रही। कहना गलत न होगा कि कांग्रेस की चुनावी रणनीति गुजरात के लिए बेहद प्रभावी साबित होते नजर आ रही है। फिलहाल ज्यादा कुछ कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन शुरुआती आंकड़ों यह तो साफ है कि कांग्रेस की बीजेपी के खिलाफ कुछ मोर्चों पर रणनीति कारगर साबित हुई। राहुल के अध्यक्ष पद संभालने के बाद भले ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़े, लेकिन उनकी ओर से गुजरात में की गई मेहनत बहुत हद तक कामयाब साबित हो रही है। कहना गलत न होगा कि इसका फायदा राहुल को भी होगा और पार्टी में उनका कद बेहतर होगा। वहीं, विपक्षी एकता की अगुआई करने वाले नेता के तौर पर उनका दावा और मजबूत होगा।
सौराष्ट्र में तगड़ा झटका: बीजेपी को एक बड़ा झटका सौराष्ट्र में लगता नजर आया। शुरुआती वोटों की गिनती की बात करें तो सौराष्ट्र में बीजेपी 23 जबकि कांग्रेस और उनके सहयोगी 31 सीटों पर आगे चल रहे हैं। इस क्षेत्र में बीजेपी को वोटों के मामले में बड़ा नुकसान हुआ है। सौराष्ट्र का इलाका पटेल-पाटीदार बहुल इलाका है। इस समुदाय के लोग किसानी, हीरा तराशने और दूसरे कारोबार से जुड़े हैं। सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण को लेकर इनका गुस्सा बीजेपी सरकार के खिलाफ था। गुजरात की जनसंख्या में पटेलों की भागेदारी 12 पर्सेंट है। 2012 के चुनाव की बात करें तो उस वक्त भी बीजेपी को इस क्षेत्र में कड़ी टक्कर देखने को मिली थी। उस वक्त पूर्व सीएम केशुभाई पटेल ने अलग होकर अपनी गुजरात परिवर्तन पार्टी बनाई थी। हालांकि, इसके बावजूद बीजेपी सौराष्ट्र में 32 सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं, कांग्रेस को 13, जीपीपी को 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी।
युवा नेताओं की तिकड़ी का प्रभाव: कांग्रेस ने पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवानी और ओबीसी लीडर अल्पेश ठाकुर के तौर पर युवा शक्तियों पर दांव खेला था। जिग्नेश जहां निर्दलीय कैंडिडेट के तौर पर जबकि अल्पेश कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। 11 बजे तक की वोटिंग के मुताबिक, जिग्नेश वडगाम से जबकि अल्पेश ठाकुर राधनपुर से आगे चल रहे हैं। हार्दिक की अपनी उम्र चुनाव लड़ने लायक नहीं हुई है। वह इन चुनावों में कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। पाटीदारों को आरक्षण के मुद्दे पर हार्दिक पटेल और कांग्रेस में इस बार गठबंधन हुआ है। बता दें कि आरक्षण के मुद्दे पर पाटीदारों के बीजेपी के खिलाफ गुस्से को हार्दिक भुनाने में कामयाब दिखे। उनकी जनसभाओं में काफी भीड़ उमड़ी। अब भले ही सरकार बीजेपी बनाए, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस और इन युवा नेताओं ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी है।
हवा हुई विकास की राजनीति: गुजरात चुनाव इस बार कई मायनों में दिलचस्प रहा है। आखिरी दौर तक के प्रचार में विकास की राजनीति हवा हो गई और नेताओं की सियासत में निजी हमलों ने जगह ले ली। हार्दिक पटेल की कई कथित सेक्स सीडी भी सामने आई। यहां तक कि गुजरात चुनाव में पाकिस्तान के रोल तक के आरोप लगाए गए। वहीं, कांग्रेस की ओर से भी निजी हमले कम नहीं हुए। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को नीच बता दिया। अल्पेश ठाकोर ने तो यह आरोप लगा दिया कि रंगत साफ करने के लिए पीएम हर रोज 4 लाख रुपये के मशरूम खाते हैं। एक बार और भी दिलचस्प नजर आई। बीजेपी पर तो मुस्लिमों की अनदेखी का आरोप लगता ही रहा है, लेकिन कांग्रेस भी मुस्लिमों की बात करते नहीं नजर आई। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के मंदिरों के चक्कर पर भी काफी प्रतिक्रियाएं आईं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मोदी के उग्र हिंदुत्व के जवाब में राहुल गांधी सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि बनाना चाहते हैं। इसलिए इस बार वे किसी दरगाह के बजाए मंदिरों में जाते नजर आए।