विधायकों-सांसदों की वकालत की प्रैक्टिस रुकवाने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बीजेपी नेता

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने देश के मुख्य न्यायाधीश और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन को पत्र लिखकर मांग की है कि सांसदों और विधायकों के कोर्ट में प्रैक्टिस करने पर पाबंदी लगाई जाए। उपाध्याय ने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए लिखा है, “एससी के 8 अप्रैल 1996 के निर्णय और बार काउंसिल ऑफ इंडिया के रूल 49 के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो कहीं से भी फुल टाइम सैलरी पा रहा हो, चाहे वह किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, निगम से जुड़ा हो या सरकारी कर्मी हो वह किसी भी अदालत में एक वकील के तौर पर प्रैक्टिस नहीं कर सकता है।” उपाध्याय ने इस बारे में डॉ. हंसराज एल चुलानी बनाम महाराष्ट्र एवं गोवा बार कौंसिल मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के एक जजमेंट का भी हवाला दिया है।

बता दें कि उपाध्याय ने ही अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की थी कि सांसदों-विधायकों को किसी भी अन्य पेशे में प्रैक्टिस करने पर रोक लगाई जाय लेकिन कोर्ट ने अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात कहकर उनकी याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि, कोर्ट ने कहा था उनकी मांग तर्कसंगत है लेकिन इस पर नियम बनाना हमारा काम नहीं है।

एक अनुमान के मुताबिक मौजूदा लोकसभा के करीब सात फीसदी सांसद वकालत कर रहे हैं। वकालत पेशे से जुड़े बीजेपी नेताओं में वित्त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के अलावा बीजेपी सांसद मीनाक्षी लेखी, सुब्रमण्यम स्वामी भी प्रमुख हैं। उधर, कांग्रेस में वकील नेताओं की लंबी फेहरिस्त है। कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, पी चिदंबरम, अभिषेक मनु सिंघवी, मनीष तिवारी, रणदीप सिंह सूरजेवाला कांग्रेस के ऐसे चेहरे हैं जो वकालत पेशे से जुड़े हैं। राजद सांसद राम जेठमलानी का नाम भी इसी कड़ी में हैं। इनके अलावा मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी इस पेशे से जुड़े रहे हैं।

 

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