राज्य सभा: पांच साल में पहली बार बोलने के लिए खड़े हुए सचिन, पर बोल नहीं सके

क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले पूर्व खिलाड़ी सचिन तेंडुलकर राज्य सभा में गुरुवार (21 दिसंबर) को बहस की शुरुआत के लिए खड़े हुए। लेकिन विपक्ष के हंगामे के बीच वह अपनी बात नहीं रख सके। रिपोर्ट के अनुसार साल 2012 में राज्य सभा सदस्य के रूप में मनोनीत सचिन पहली बार बहस की शुरुआत के लिए खड़े हुए थे। इस दौरान वह बच्चों के लिए ‘खेलने का अधिकार’ दिए जाने की मांग करने वाले थे। लेकिन विपक्षी दल कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी और 2-जी घोटाला मामले में सभी आरोपियों को बरी होने पर सदन को चलने नहीं दिया। इससे सदन करीब बीस मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया।

बाद में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने पीएम मोदी द्वारा विपक्ष के आरोपों का जवाब नहीं देने पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि करीब एक सप्ताह से कांग्रेस सदस्य मांग कर रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी सदन में आएं और गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई अपनी कथित टिप्पणी पर स्पष्टीकरण दें। उन्होंने आगे कहा कि क्या यह आरोप नहीं है कि मनमोहन सिंह पाकिस्तान के साथ षड्यंत्र कर रहे थे? उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री पर लगाए गए इस आरोप पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए। आजाद ने 2-जी घोटाला मामले में भी सत्ताधारी दल के आरोप गलत साबित होने की बात कही।

उधर भारत रत्न सचिन को नहीं बोलने देने पर सांसद (राज्य सभा) जया बच्चन ने विपक्ष पर निशाना साधा है। उन्होंने एएनआई से कहा, ‘उन्होंने (सचिन तेंडुलकर) वैश्विक स्तर पर देश का नाम दर्ज कराया। शर्म की बात है कि उन्हें आज राज्य सभा में नहीं बोलने दिया गया। जबकि सभी को पता था कि आज (21 दिसंबर) एजेंडा क्या था। क्या सिर्फ राजनेताओं को ही बोलने दिया जाना चाहिए?’

बता दें कि पूर्व में संसद के इस उच्च सदन की ज्यादातर बैठकों में भाग ना लेने के कारण सचिन निशाने पर आते रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने नोटिस देकर बहस का नेतृत्व करने का फैसला लिया था। खास बात यह है कि साल 2012 में राज्यसभा पहुंचे सचिन ने अभी तक सदन में बहस की शुरुआत नहीं की है। सचिन द्वारा बच्चों के लिए खेलने का अधिकार दिए जाने की मांग से पहले करीब दो महीना पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस क्षेत्र में अपनी राय दे चुके हैं।

तब उन्होंने खेल के क्षेत्र और अन्य शारीरिक गितिविधियों में बच्चों द्वारा भाग ना लेने और उनके मोटापे को लेकर चिंता जाहिर की थी। पीएम मोदी ने कहा कि था कि भारतीय बच्चों में मोटापे की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। न्यू इंग्लैंड जनरल ऑफ मेडिसिन में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 1.80 करोड़ बच्चे मोटापे का शिकार हैं। इनमें दो साल से 19 साल तक के युवाओं की संख्या 1.44 लाख बताई गई।

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