मुस्लिम धर्मगुरु का फरमान- महिलाओं को न छुएं डॉक्टर, गैर इस्लामिक रेड क्रॉस सिंबल से भी करें परहेज

केरल में विवादास्‍पद सलाफी मुस्लिम धर्मगुरु अब्‍दुल मुहसिन अदीद ने समुदाय के डॉक्‍टरों के लिए नया फरमान जारी किया है। इसमें मुस्लिम पुरूष डॉक्‍टरों को कई सुझाव दिए हैं। उन्‍हें महिला मरिजों को न छूने और परंपरागत रेड क्रॉस या रॉड ऑफ एस्‍केलिपस (ठीक करने वाले यूनानी देवता) जैसे प्रतीक चिह्नों का प्रयोग न करने की सलाह दी गई है। मुहसिन ने इससे पहले मुस्लिमों को अपने बच्‍चों को पब्लिक स्‍कूलों में न पढ़ाने की सलाह दी थी। यह कोई पहला मौका नहीं है जब मुहसिन ने इस तरह का फरमान जारी किया है।

मुहसिन ने ‘डॉक्‍टरों के लिए कुछ इस्‍लामिक सलाह’ शीर्षक से फेसबुक पोस्‍ट किया है। उन्‍होंने अस्‍पतालों में पुरुष-महिला कर्मचारियों को एकसाथ न रखने की बात लिखी है। उनके मुताबिक, जहां तक संभव हो पुरुष डॉक्‍टराेें को महिलाओं को स्‍पर्श नहीं करना चाहिए। सलाफी धर्मगुरु ने कहा, ‘डॉक्‍टरों के घर, वाहन, कंसल्टिंग रूम और लेटर हेड पर आमतौर पर विशेष धार्मिक प्रतीक चिह्न देखे जाते हैं। उदाहरण के तौर पर लाल रंग का क्रॉस जो ईसाई मत को दर्शाता है। यह बहुदेववाद का सबसे खराब रूप है। इस्‍लाम में इसे घोर पाप माना जाता है।’ मुहसिन ने मुस्लिम महिलाओं को उसी हालत में पुरुष डॉक्‍टर के पास जाने की सलाह दी है जब मुस्लिम महिला डॉक्‍टर उपलब्‍ध ही न हों। उनके मुताबिक, पुरुष डॉक्‍टरों को महिलाओं को बिल्‍कुल नहीं छूना चाहिए, लेकिन यदि ऐसा करना अनिवार्य जो जाए तो उन्‍हें दस्‍ताने पहन लेना चाहिए।

मुहसिन यहीं नहीं रुके। उन्‍होंने आगे सलाह दी कि महिला मरीजों को शरीर का वही हिस्‍सा खुला रखना चाहिए, जिसका इलाज होना है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं को पुरुष डॉक्‍टरों के पास पति के साथ ही जाने का सुझाव दिया है। सलाफी धर्मगुरु ने कॉस्‍मेटिक या प्‍लास्टिक सर्जरी को भी धर्म के खिलाफ बताया है। उन्‍होंने लिखा कि ऐसा करना ऊपर वाले की रचना में दखलअंदाजी है। मालूम हो कि केरल नदवातुल मुजाहिदीन में कई टूट के बाद सलाफी समूह सामने आया था।

 

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