शतरंज में चैंपियन रह चुके हैं युजवेंद्र चहल, महंगे खर्च के चलते छोड़ना पड़ा था करियर

हरियाणा के जींद में 23 जुलाई 1990 को जन्मे युजवेंद्र चहल का शुरुआती रुझान शतरंज में था। चहल नेशनल लेवल पर चेस चैंपियन रहे और साल 2013 में चेस वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया मगर इस खेल पर खर्च इतना अधिक था कि युजवेंद्र को मजबूरन इसे छोड़ना पड़ा। दरअसल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़े टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए दिग्गज कोच की जरूरत थी। ग्रैंड मास्टर लेवल के कोच पर एक लाख रुपये प्रतिमाह खर्च हो जाते थे। परिवार पर पड़ रहे इस बोझ को देख युजवेंद्र ने शतरंज को अलविदा कह क्रिकेट में करियर बनाने की सोची।

जींद में क्रिकेट को लेकर सुविधाएं अधिक नहीं थीं। पेशे से वकील पिता केके चहल ने खेत के डेढ़ एकड़ हिस्से पर ही बेटे के लिए मैदान तैयार करवाया। युजवेंद्र वहीं पर घंटों अकेले ही अभ्यास करते रहते। घर से करीब 50 किलोमीटर दूर रोहतक में जब कैंप लगता तो पिता वहां ले जाते। वहां दिग्गज लेग स्पिनर नरेंद्र हिरवानी से युजवेंद्र की मुलाकात हुई। जहां उन्होंने लेग स्पिन सीखी। धीरे-धीरे युजवेंद्र ने स्पिन गेंदबाजी में महारत हासिल कर ली। प्रदर्शन इतना लाजवाब रहा कि अंडर-19 में चयन हो गया।

इसके बाद चहल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आईपीएल में सेलेक्शन हुआ तो रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु की तरफ से खेलते हुए बड़े-बड़े बल्लेबाजों को परेशानी में डाल दिया। अपना लोहा ऐसा मनवाया कि प्रतिभा को देखते हुए टीम इंडिया में चयन हो गया। इंग्लैंड के खिलाफ चहल ‘मैन ऑफ द मैच’ और ‘मैन ऑफ द सीरीज’ रहे। इस दौरान उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 25 रन देकर 6 विकेट झटके थे।

बता दें कि युजवेंद्र चहल 17 वनडे मैचों में 4.66 की इकॉनमी से 27 विकेट झटका चुके हैं। वहीं बात अगर 13 टी20 मुकाबलों की करें तो इस गेंदबाज ने 16.45 के एवरेज से 22 शिकार किए हैं। चहल ने जिम्बाब्वे के खिलाफ 11 जून 2016 को वनडे में डेब्यू किया था। हालांकि टेस्ट में अभी तक उन्हें मौका नहीं मिल सका है।

 

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