धार्मिक स्थलों पर लगे लाउडस्पीकरों से ध्वनि प्रदूषण पर हाई कोर्ट सख्त, यूपी की योगी सरकार को लगाई फटकार
धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकरों से होने वाले घ्वनि प्रदूषण को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने योगी आदित्यनाथ सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि मस्जिदों, मंदिरों और गुरुद्वारों के अलावा अन्य सार्वजनकि स्थलों पर लाउडस्पीकर लगाने से पहले संबंधित अधिकारियों से अनुमति ली गई थी या नहीं। कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर को लेकर कई बार आदेश दिए जा चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद यह मुद्दा बरकरार है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अब्दुल मोइन की पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब तलब किया है।
अधिवक्ता मोतीलाल यादव ने नवंबर में याचिका दाखिल कर ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए लाउडस्पीकरों को हटाने की मांग की है। याची ने साथ ही ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण), नियम-2000 को उत्तर प्रदेश में लागू करानेे को सुनिश्चित करने का आग्रह किया है। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘पिछले कुछ दशकों से लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के मुद्दे ने सुप्रीम कोर्ट के साथ ही अन्य अदालतों का ध्यान खींचा है। इस दिशा में कई आदेश दिए जाने के बावजूद अभी भी यह मसला अदालत के संज्ञान में लाया जा रहा है।’ पीठ ने आगे कहा कि पहली नजर में इससे जुड़े नियमों को लागू कराने में संबंधित अधिकारियों की अक्षमता अैर जवाबदेही का अभाव सामने आता है। पूर्व में कई आदेश दिए जाने के बावजूद इसका धड़ल्ले से उल्लंघन किया जा रहा है।
हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (गृह) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को निजी स्तर पर हलफनामा दाखिल कर नियमों को लागू कराने के मामले में स्पष्टीकरण देनेे का निर्देश दिया है। साथ ही उन्हें यह भी स्पष्ट करना होगा कि धार्मिक स्थलों पर लिखित अनुमति के बाद ही लाउडस्पीकर लगाए गए हैं। यदि ऐसा नहीं है तो उन्हें यह बताना होगा कि इसको हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है।