जल विभाग की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेंगे केजरीवाल

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अब तक कोई भी विभाग अपने पास नहीं रखा था, लेकिन जल्द ही वे जल आपूर्ति विभाग की बागडोर अपने हाथों में लेने वाले हैं। फिलहाल यह विभाग राजेंद्र पाल गौतम के पास है, जिन्हें तीन महीने पहले केजरीवाल मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था। गौतम के मुताबिक, जल बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों के उनके साथ असहयोगात्मक रवैये के कारण केजरीवाल ने यह फैसला किया है। गौतम ने जल बोर्ड में फैले भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार शाम जल आपूर्ति मंत्री राजेंद्र पाल गौतम से मुलाकात कर जल बोर्ड में अधिकारियों की मनमानी पर चर्चा की और विभाग का कार्यभार खुद संभालने का संकेत दिया। हालांकि, अभी अधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि होनी बाकी है। राजेंद्र पाल गौतम ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ‘जल बोर्ड की समस्याएं कम करने में लगा हूं तेजी से, लेकिन वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों का जो सहयोग मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है। उनका ध्यान लोगों की पानी की समस्या खत्म हो इस पर कम और बड़े-बड़े प्रोजेक्ट पास हो जाएं, इस पर ज्यादा रहता है।

मुख्यमंत्री को लग रहा है कि शायद उनसे वह नियंत्रित हो जाएंगे। यही एकमात्र कारण है और मैं भी इससे सहमत हूं। मुझे खुशी है कि सुधार की जो प्रक्रिया शुरू हुई थी उसे अरविंद केजरीवाल अंजाम तक पहुंचाएंगे’। दिल्ली मंत्रिमंडल में प्रभारों का यह बदलाव इसी हफ्ते होने की उम्मीद है। केजरीवाल का कोई प्रभार संभालना आप की रणनीति में एक बड़ा बदलाव होगा। सरकार के एक प्रवक्ता के अनौपचारिक बयान के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल जल और सीवर के मामलों की निगरानी व्यक्तिगत रूप से करना चाह रहे हैं क्योंकि यह अब स्वास्थ्य और शिक्षा के साथ सरकार के प्राथमिकता वाले मुद्दों में से एक है। इस बदलाव के पीछे का कारण कहीं न कहीं केजरीवाल का दिल्ली पर बढ़ता फोकस और बवाना चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन है।

जल विभाग का प्रभार जाने के बाद राजेंद्र पाल गौतम के पास सामाजिक कल्याण, एससी-एसटी, रजिस्ट्रार आॅफ कॉपरेटिव और गुरुद्वारा चुनाव के चार विभाग हैं। गौतम को कोई अन्य विभाग सौंपे जाने का अभी कोई संकेत नहीं है। सरकार की प्राथमिकताओं में बदलाव पर राजेंद्र गौतम ने कहा कि हर घर को साफ व शुद्ध पानी पहुंचाना पहले से सरकार की प्राथमिकता है, लेकिन जल बोर्ड ऐसी जगह है जहां अगर आप बेईमान हैं तो अधिकारी आसानी से स्वीकार कर लेते हैं, लेकिन मैं अपना जमीर नहीं बेच सकता।

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