भगवान कृष्ण ने शिव के इस अवतार को ऐसा श्राप दिया जिसके कारण नहीं की जाती है इस अवतार की पूजा
हिंदू धर्म की कई कथाएं समाज में प्रचलित हैं। माना जाता है कि इस सृष्टि को हिंदू धर्म के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने बनाया और इसी कारण से त्रिदेव परम पूजनीय माने जाते हैं।
पुराणों के अनुसार माना जाता है कि भगवान शिव के 19 अवतार हुए हैं और उन सभी में से 18 अवतारों को पूजनीय माना गया है। भगवान शिव के ऐसा अवतार है जो अपनी गलती के कारण शापित हुआ और किसी सम्मान का हकदारी नहीं बन पाया।
भगवान शिव का वो 19 वां अवतार कौरव-पांडव के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा को माना जाता है। द्रोणाचार्य ने कठोर तप किया और उसके बाद शिव रुपी संतान की उन्हें प्राप्ति हुई। भगवान शिव को उनके काल और रौद्र रुप के लिए भी जाना जाता है। शिव रुपी अश्वथामा एक महान, ताकतवर और बहुत ही क्रोधी योद्धा माना जाता था। महाभारत के युद्ध में भी वो महत्वपूर्ण किरदार था, जिसने कौरवों की तरफ से युद्ध में हिस्सा लिया था। इसी ने पांडवों के पुत्रों की नींद अवस्था में प्राण ले लिए थे। पुत्रों की मृत्यु के शोक में पांडव और भगवान कृष्ण अश्वथामा के पास गए। वहां अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र चलाने की ठान ली थी।
अर्जुन के अलावा अश्वथामा ही ऐसा योद्धा ता जिसे ब्रह्मास्त्र प्रयोग करना आता था। अश्वथामा ने भी अर्जुन के ऊपर ब्रह्मास्त्र प्रयोग करने की ठान ली थी। यदि ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया जाता तो हर तरफ तबाही आ सकती थी। इसे रोकने के लिए नारद मुनि और वेद व्यास आए और उन दोनों को वहीं रोका। अर्जुन ने ब्रह्मास्त्र को वापस आसानी से ले लिया लेकिन अश्वाथामा के लिए ये संभव नहीं था। उसने ब्रह्मास्त्र अभिमन्यु की गर्भवती पत्नी उत्तरा की तरफ चला दिया। जिस कारण उसकी मृत्यु हो गई। इस अपराध के श्राप में भगवान कृष्ण ने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि सृष्टि के अंत तक इस धरती पर अकेला भटकता रहेगा। माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा पृथ्वी पर भटक रहा है और किसी तरह का सम्मान उसे नहीं दिया जाता है।