बीजेपीः बढ़ता सत्ता रथ, सबसे ज्यादा सफलता का साल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात की राजनीति के बूते ही देश के सबसे ताकतवर राजनेता बने लेकिन साल के आखिर में हुए गुजरात के चुनाव ने ही उनके पसीने छुड़ा दिए। भाजपा गुजरात जीत गई और देश के सर्वाधिक (19) राज्यों में शासन करने वाली पार्टी बन गई लेकिन गुजरात चुनाव ने भाजपा को आत्ममंथन करने पर मजबूर कर दिया। 2014 में मोदी की अगुआई में देश में बहुमत की सरकार बनने के बाद 2017 का साल भाजपा के लिए सर्वाधिक सफलता वाला साल बना। उस लोकसभा चुनाव के बाद देश के जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए, उनमें दिल्ली, पंजाब और बिहार के अलावा सभी राज्यों में भाजपा की सरकार बनी। बिहार में भी पिछले साल नए समीकरण बनाकर भाजपा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ सत्ता में आ गई। पंजाब विधानसभा चुनाव भी भाजपा शिरोमणि अकाली दल के साथ लड़ी थी। कहा जाता है कि आखिरी समय में आतंकवाद के विरोध के नाम पर भाजपा ने अपने वोट कांग्रेस का ओर शिफ्ट करवा दिए।

प्रधानमंत्री बनने के साथ ही मोदी ने अपने करीबी अमित शाह को अगस्त 2014 में भाजपा का अध्यक्ष बनवाया। तब से उनकी अमित शाह के साथ बनी जोड़ी भाजपा और देश पर शासन कर रही है। पिछले साल आठ नवंबर को हुई नोटबंदी ने हर तबके को परेशान कर दिया। माना गया कि नोटबंदी से परेशान लोग भाजपा को हराएंगे लेकिन पहले दिल्ली नगर निगम और फिर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड में हुई भाजपा की जीत ने एक तरह से नोटबंदी पर मुहर लगा दी। उसके बाद पहली जुलाई को जीएसटी लागू किया गया। भाजपा का वोट बैंक कहे जाने वाले छोटे और मझोले व्यापारियों ने उसका भारी विरोध किया। लगा कि कारोबार के प्रदेश गुजरात में तो भाजपा जीएसटी के कारण जीत ही नहीं सकती। प्रधानमंत्री ने पहले दनादन दस यात्राओं में गुजरात के लिए अनेक घोषणाएं कर दीं। फिर जीएसटी की दरों में भारी बदलाव करवाया। इतना ही नहीं अपने मंत्रियों से कहलवाते रहे कि जरूरी हुआ तो जीएसटी की दरों में और बदलाव करवाएंगे।

कांग्रेस पूरी तैयारी से चुनाव लड़ी। गुजरात में सक्रिय तीन बड़ी जातियों के नेताओं को अपने पाले में कर लिया लेकिन प्रधानमंत्री ने रेकॉर्ड 34 सभाएं करके गुजराती अस्मिता को मुद्दा बना कर चुनाव जीत लिया। भाजपा की सीटें घटीं लेकिन चुनाव में तो संख्या बल देखा जाता है और उसमें भाजपा ने 99 सीटें जीत कर सरकार बना ली। लगातार चुनाव जीत कर मोदी और शाह पहले से ज्यादा ताकतवर बन गए। शाह के अध्यक्ष बनने से पहले छह राज्यों में भाजपा की सरकार थी जिनमें तीन में भाजपा के मुख्यमंत्री और तीन में उप मुख्यमंत्री थे। अब 19 राज्यों में सरकार है। भाजपा के सदस्यों की संख्या 11 करोड़ बताई जा रहा है। कहा जा रहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा बन गई है।

साल के शुरू में पंजाब और गोवा के चुनाव हुए। गोवा में भाजपा की ही सरकार थी लेकिन इस बार उससे ज्यादा कांग्रेस को सीटें मिलीं। कांग्रेस फैसला ही नहीं कर पाई और भाजपा ने अन्य दलों के सहयोग से सरकार बना ली। पहली बार पूर्वोत्तर के राज्यों में भाजपा की सरकार बनी। असम में तो पहली सरकार बनी ही मणिपुर में भी भाजपा की सरकार बन गई। पंजाब में तो भाजपा दावेदार थी ही नहीं। मतदान आते-आते भाजपा ने आमजन का मूड भांप कर अपने समर्थकों से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करवा दिया। आरोप था कि आप को विदेशों में बैठे आतंकी संगठन धन-बल से सहयोग कर रहे हैं। उसके बाद के चुनावों में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड भाजपा के लिए चुनौती थे। यूपी में पहली बार सपा और कांग्रेस मिलकर लड़े लेकिन चुनाव में गजब का ध्रुवीकरण हुआ और भाजपा भारी बहुमत से जीती। उत्तराखंड में भाजपा का जीतना तय मना जा रहा था। दिल्ली में भले ही भाजपा विधानसभा चुनाव 1993 के बाद नहीं जीत पाई है लेकिन लगातार तीसरी बार नगर निगमों के चुनाव जीत कर उसने अनोखा रेकॉर्ड बना दिए।

भावी चुनौतियां

जीएसटी के बाद हुए चुनावों को जीतने से भाजपा के हौसले ज्यादा बुलंद हैं और प्रधानमंत्री के कांग्रेस मुक्त भारत के अभियान को वे आगे बढ़ाने में लगे हैं। इसी आत्मविश्वास का परिणाम हुआ कि भाजपा ने अपने खांटी नेता रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति और एम वेंकैया नायडू को उपराष्ट्रपति बनवा दिया। उसका लाभ उन्हें राज्यसभा से लेकर अनेक स्तरों पर दिखने लगा है। आने वाले दिनों में कर्नाटक समेत भाजपा शासित राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि में चुनाव होने हैं। भाजपा पूरी ताकत से केरल, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए जुटी हुई है। कहा जा रहा है कि भाजपा का लक्ष्य पहले कांग्रेस मुक्त भारत और फिर वाममुक्त भारत का है। उन राज्यों में भाजपा की उपस्थति तो बढ़ गई है लेकिन अभी सरकार बनने लायक उसकी ताकत नहीं बन पाई है। वैसे अन्य दल के शासन वाले तमिलनाडु, ओड़िशा आदि में वह ताकत बढ़ाने में लगी हई है। आंध्र प्रदेश तो राजग का घटक ही है कई और दल भी लोकसभा में सहयोगी जैसे ही बन गए हैं। कायदे में कहें तो अभी भाजपा का स्वर्णिम काल है और प्रधानमंत्री मोदी के सितारे बुलंद हैं।
उसमें साल 2017 की बड़ी भूमिका रही है।

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