तकरार और दरार

आरके नगर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव का नतीजा आने के बाद से अन्नाद्रमुक सांसत में है। पार्टी के भीतर तकरार शुरू हो गई है, दरार भी पड़ने लगी है। वीके शशिकला के जेल जाने और केंद्र के दबाव में ई पलानीस्वामी और पन्नीरसेलवम गुटों के बीच समझौता हो जाने के बाद लग रहा था कि लड़खड़ाती अन्नाद्रमुक संभल गई है। लेकिन आरके नगर के उपचुनाव ने एक बार फिर सब कुछ अनिश्चित-सा कर दिया है। यही नहीं, पलानीस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार की स्थिरता पर भी नए सिरे से सवालिया निशान लग गया है। पार्टी के भीतर हालत यह है कि टीटीवी दिनाकरण के समर्थक माने जाने वाले कई पदाधिकारियों को उनके पदों से बर्खास्त कर दिया गया है, वहीं कुछ समर्थकों को पार्टी से निकाल दिया गया है। यह सिलसिला कहां जाकर खत्म होगा, फिलहाल कहना मुश्किल है।

इस घटनाक्रम से जाहिर है कि आरके नगर विधानसभा सीट पर दिनाकरण की भारी जीत ने अन्नाद्रमुक में उथल-पुथल मचा दी है। दिनाकरण की जीत अन्नाद्रमुक के नेताओं के लिए अप्रत्याशित तो है ही, डराने वाली भी है। इस सीट का प्रतिनिधित्व जयललिता करती थीं और उनके निधन से ही यह सीट खाली हुई थी। इसलिए आरके नगर के उपचुनाव को जयललिता की विरासत पर दावेदारी की लड़ाई के रूप में भी देखा जा रहा था। यहां दिनाकरण निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे। फिर भी उन्होंने चालीस हजार से अधिक मतों से अन्नाद्रमुक के उम्मीदवार को मात दे दी।

यही नहीं, उन्हें 2016 में जयललिता को मिले वोटों से भी ज्यादा वोट मिले। राज्य की दूसरी प्रमुख पार्टी द्रमुक की तो इस उपचुनाव में यह गत बनी कि उसके उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। जबकि उसे कांग्रेस और वाइको की एमडीएमके के अलावा कई अन्य संगठनों का भी समर्थन हासिल था। भाजपा प्रत्याशी को तो इस उपचुनाव में नोटा से भी कम वोट मिले। अन्नाद्रमुक के नेताओं को शक है कि दिनाकरण की ऐसी जबर्दस्त जीत पार्टी के भितरघात की वजह से हुई, पार्टी के कई पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने उनका गुपचुप साथ दिया। इसी बिना पर ऐसे कथित संदिग्ध लोगों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। लेकिन अन्नाद्रमुक पर आया संकट ऐसा नहीं है कि कुछ अनुशासनात्मक कार्रवाई से टल जाए। दिनाकरण की जीत ने अन्नाद्रमुक को सांप सुंघा दिया है। इस जीत के बाद पार्टी के भीतर बहुतों को दिनाकरण में करिश्माई नेता की संभावना दिखने लगी है।

हालांकि बहुत-से लोग मानते हैं कि उनकी जबर्दस्त जीत का कारण मतदाताओं को पैसा बांटना था। अलबत्ता पैसा बांटने के आरोप दोनों तरफ से लगे हैं। विडंबना यह है कि मतदाताओं को बांटने के लिए धन इकट्ठा किए जाने का खुलासा होने के कारण ही निर्वाचन आयोग ने आरके नगर का उपचुनाव स्थगित कर दिया था, और फिर बाद में यहां उपचुनाव की तारीख नए सिरे से तय की गई। बहरहाल, भ्रष्टाचार के आरोप में वीके शशिकला के जेल जाने के बाद मान लिया गया था कि राज्य की राजनीति में उनका खेल खत्म हो गया। पर उपचुनाव में उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण की भारी जीत ने अन्नाद्रमुक के भीतर उलटफेर होने या नए तरह से ध्रुवीकरण होने के द्वार खोल दिए हैं। दिनाकरण ने इस तरह के अपनेइरादे भी जताए हैं, यह कहते हुए कि वे पलानीस्वामी और पन्नीरसेलवम, दोनों गुटों को तोड़ देंगे। अन्नाद्रमुक के बाहर भी, राज्य की राजनीति में नए समीकरण बन सकते हैं।

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