अब अटेंडेंस अनिवार्य करने पर भड़के JNU के छात्र, कहा- ये ‘परंपरा’ के खिलाफ

जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में स्टूडेंट्स के लिए अटेंडेंस अनिवार्य घोषित कर दी गई है। प्रशासन के इस फैसले से छात्र काफी नाराज नजर आ रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। जेएनयू प्रशासन ने सभी स्कूलों के डीन और सभी सेंटर्स के चेयरपर्सन को कहा है कि सभी छात्रों के लिए अटेंडेंस जरूरी की जाए। यूनिवर्सिटी की इवैल्यूशन ब्रांच ने सर्कुलर जारी कर बताया कि अटेंडेंस को अनिवार्य करने का प्रपोजल 1 दिसंबर को हुई अकैडमिक काउंसिल (एसी) की मीटिंग में मंजूर हुआ था। वहीं जेएनयू स्टूडेंट्स यूनियन का दावा है कि एसी मीटिंग में ऐसा कोई प्रस्ताव मंजूर नहीं किया गया है। जनवरी 2018 से शुरू होने वाले कोर्सिस के लिए मिनिमम अटेंडेंस अनिवार्य कर दी गई है। यह पहली बार होगा जब हर एक छात्र की अटेंडेंस रिकॉर्ड की जाएगी।

वहीं कई छात्र इस फैसले को जेएनयू की ‘परंपरा’ के खिलाफ बता रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स से बातचीत में JNUSU की वाइस प्रेजिडेंट सिमोन जोया खान ने कहा, “छात्रों या शिक्षकों के साथ हुई एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में अटेंडेंस को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई थी। अटेंडेंस एजेंडा में थी ही नहीं।” उन्होंने आगे कहा कि छात्रों की अटेंडेंस मॉनिटरिंग जेएनयू की पर परंपरा पर हमला है। उन्होंने कहा, “छात्र हमेशा से ही नियमित रूप से क्लासिस अटेंड करते रहे हैं।” हालांकि यूनिवर्सिटी ने अभी यह निर्धारित नहीं किया है कि कितनी फिसदी अटेंडेंस अनिवार्य होगी।

खबर के मुताबिक JNUSU प्रेसिडेंट गीता कुमारी ने कहा कि यह ‘बेकार’ और ‘गैरजरूरी’ है क्योंकि एम.फिल, पीएचडी छात्रों की तो नियमित क्लासिस नहीं हैं (कथित तौर पर )। इसके अलावा उन्होंने कहा, “हम एडल्ट्स हैं। हम क्लास मिस करते हैं और अगर इससे हमारा भविष्य खराब होता है तो इसे हमारे ऊपर ही छोड़ दीजिए। हम किसी स्कूल या गुरुकुल में नहीं हैं जो हमें हर सुबह किसी रोल कॉल का जवाब देना होगा।”

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