करोड़ों खर्च होने के बावजूद बढ़ रही है अतिकुपोषित बच्चों की संख्या

जिले में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। बाल विकास व पुष्टाहार विभाग के आंकड़ों के अनुसार 2017 में 40393 को कुपोषित व अतिकुपोषित बच्चे पाए गए हैं। जबकि ऐसा नहीं हैं कि विभाग के पास इनके स्वस्थ्य करने के लिए कोई योजना न हो। बजट भी हैैं, पर कमी है तो वो आत्मविश्वास की, जिसमें अधिकारी से लेकर कर्मचारी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। जालौन में कुपोषण को लेकर बच्चों के शरीर से दूर भगाने की विभाग की इच्छाशक्ति मरती दिखाई दे रही है, क्योंकि हर साल कुपोषित व अति कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा हो रहा है। कुठौंद ब्लाक में कुपोषित बच्चों 2553 पाए गए, जबकि यहां अतिकुपोषित की संख्या 1074 है। कदौरा मे कुपोषण के शिकार 5645 है। जबकि अतिकुपोषित बच्चे 1038 है। जालौन में कुपोषण के शिकार बच्चे 2571 है। जबकि अतिकुपोषण 1331 बच्चे मिले।

वहीं, माधौगढ़ में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या 2872 है। अतिकुपोषित बच्चे 1167 है। रामपुरा विकास खंड में कुपोषण से पीड़ित बच्चे 2554 है। अतिकुपोषित 2306 बच्चे चिह्नित हुए। डकोर ब्लाक में कुपोषण के शिकार बच्चों की संख्या 3220 है। अतिकुपोषित 1611 है। जबकि नदीगांव विकास खंड में 2401 कुपोषित बच्चों का चिन्हीकरण हुआ हैं, जबकि 1166 अतिकुपोषित बच्चे मिले। वहीं, कोंच ब्लाक में 1530 बच्चों को कुपोषित पाया गया है। 1026 बच्चों को अतिकुपोषित में चिह्नित किया गया है। उरई नगर में 3151 कुपोषित व 1411 अति कुपोषित बच्चे मिले। जो बेहद शर्मनाक है। क्योंकि शहरी क्षेत्र में सरकाकर का पूरा अमला बैठा है। इसके बाद भी बाल विकास व पुष्टाहार विभाग की लापरवाही की पराकष्टा है। वहीं, महेबा विकास खंड में कुपोषित बच्चों की संख्या 2056 है। 1107 अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित किया गया है।

बताते चले कि सरकार द्वारा कुपोषण व अति कुपोषण से निपटने के लिए पोषण पुर्नवास केंद्र खुले हुए, जिनमें यह पोषाहार बच्चों को तो नसीब हो नहीं रहा, इसको विभाग में ही बंदरबांट किया जा रहा है। इसी प्रकार एसएनजीयू योजना में कुपोषण व अतिकुपोषित बच्चों को इलाज के साथ साथ दवा व भोजन भी मिलता है, जो शायद पूरे जिले में देखने को नहीं मिल रहा है। जबकि आंगनबाड़ी केंद्र प्रत्येक गांव में संचालित हो रहे हैं, इसके बावजूद बच्चों की संख्या में इजाफा होना यह दर्शाता है कि विभाग लापरवाह हैं। इसमें सरकार के कुपोषण मुक्त भारत के सपने को पलीता लगाया जा रहा है। वहीं, जिला परियोजना अधिकारी भगवत पटेल का कहना है कि कुपोषण का हफ्ते चल रहा है। जो भी बच्चों का चिन्हीकरण किया गया है। उन बच्चों को दवा से लेकर पोषाहार दिया जाएगा। बच्चों को कुपोषण से दूर भगाने का संकल्प विभाग के जरिए लिया गया।

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