इरादों पर सवाल

पाकिस्तान ने जिस तरीके से कुलभूषण जाधव की उनके परिजनों से मुलाकात कराई, उसे लेकर भारत की नाराजगी स्वाभाविक है। इसे लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में भी घेरा बनने लगा है। पाकिस्तानी अदालत ने जासूसी और आतंकवाद फैलाने के आरोप में जाधव को फांसी की सजा सुना रखी है। मगर भारत की अपील पर इस मामले में हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने उनकी फांसी पर रोक लगा रखी है। पाकिस्तान की कोशिश है कि वह अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के सामने जाधव के मामले में अपना पक्ष मजबूत कर सके। इसी वजह से उसने जाधव की उनकी पत्नी और मां से मुलाकात कराई। भारत ने जाधव के साथ पाकिस्तान के अमानवीय व्यवहारों के बारे में अंतरराष्ट्रीय अदालत को सूचित किया था, उनमें एक यह भी था कि उन्हें अपने परिजनों से मिलने नहीं दिया जा रहा। उसी के मद्देनजर उसने यह मुलाकात मुकर्रर की और फिर मीडिया के सामने तफ्सील से वही आरोप रखे, जो उसने जाधव पर लगा रखे हैं।

मगर जिस तरह अपनी पत्नी और मां से मिलते वक्त जाधव ने पूरे समय अपनी मातृभाषा के बजाय अंग्रेजी में बातचीत की और हर समय तनाव में दिखे, उससे साफ था कि उन पर दबाव डाला गया था। मुलाकात के वक्त न सिर्फ भारत के राजदूत को दूर रखा गया, बल्कि जाधव और मुलाकातियों के बीच कांच की दीवार रखी गई और इंटरकाम के जरिए बातचीत कराई गई। मिलने जाते वक्त जाधव की पत्नी और मां के कपड़े बदलवाए गए, लौटते समय उनकी पत्नी के जूते भी वापस नहीं किए गए। इससे आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान उनका उपयोग किसी साजिश में कर सकता है। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने यह ढिंढोरा पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि उसने मानवीय तकाजे के तहत ऐसा किया, उसने यहां तक उम्मीद जाहिर की कि इसके बाद दोनों देशों के बीच शांति और सौहार्द को लेकर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ सकेगा। मगर यह सवाल सबके मन में टंगा हुआ है कि क्या इस तरह किसी कैदी या सजायाफ्ता व्यक्ति को उसके परिजनों से मिलने दिया जाता है? उन्हें अंग्रेजी में वही बातें बोलने को क्यों मजबूर किया गया, जो पाकिस्तान के पक्ष में जाती हैं। जाहिर है, वह इसे अंतरराष्ट्रीय अदालत के सामने अपने पक्ष में सबूत के रूप में पेश करेगा। अब अंतरराष्ट्रीय न्यायालय पाकिस्तान के इस साजिशन कराई गई बातचीत को कितना गंभीर प्रमाण मानता है, देखने की बात है।

यह पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान इस तरह किसी भारतीय नागरिक को जासूसी करने और दहशतगर्दी फैलाने के आरोप में फांसी की सजा सुनाई और उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल किया। सरबजीत के मामले में भी उसने यही किया था। दरअसल, जबसे दुनिया भर में आतंकवाद को लेकर दबाव बनना शुरू हुआ है और पाकिस्तान उसमें बेनकाब होता गया है, उससे उसे हर वक्त यही चिंता सताती रहती है कि वह कैसे साबित करे कि भारत उसे अस्थिर करने का प्रयास करता आ रहा है। जाधव को भी इसी रणनीति के तहत बनाया गया। मगर दूसरी तरफ वह भारत से रिश्ते बेहतर बनाने का ढोंग भी करता रहा है। उसकी ये चालें अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर छिपी नहीं रह गई हैं, इसलिए दुनिया के कई देश उसे अपने यहां आतंकवादियों को पनाह देने से रोकने की चेतावनी दे चुके हैं। अगर अब भी वह नहीं चेतता है, तो उसके गंभीर परिणाम उसे भुगतने पड़ेंगे।

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