रुद्राक्ष धारण करने के हैं कई लाभ, लेकिन पहले जान लें उसके नियम-कायदे
रुद्राक्ष भगवान शिव के अंग का प्रतीक माना गया है। इसे धारण करने वाले के जीवन में कोई समस्याएं नहीं आती हैं। इसे धारण करने वाले को अपने जीवन में कई नियम लागू करने पड़ते हैं, इसे कोई भी नहीं पहन सकता है। इसे अधिकतर गले में पहना जाता है। रुद्राक्ष भिन्न-भिन्न तरह के होते हैं और हर रुद्राक्ष के अलग-अलग फायदे होते हैं। ऐसा नहीं है कि हर रुद्राक्ष को धारण करने के भी नियम अलग-अलग होते हैं। आपको बता दें कि सभी तरह के रुद्राक्ष धारण करने के एक जैसे ही नियम होते हैं। रुद्राक्ष हमारे जीवन में सभी तरह की सुख-समृधि लाता है पर इसे धारण करने के नियमों को अगर अपनाया ना जाए तो कई बार ये रुद्राक्ष आपके कई नुकसान करवा सकता है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम-
– एकमुखी रुद्राक्ष को पीतल के बर्तन में रख कर उसपर 108 बिल्वपत्र लेकर चन्दन से ॐ नम: शिवाय मंत्र लिखकर उसे रात्रि भर के लिए छोड़ दें। इसके बाद ही धारण करें।
– रुद्राक्ष धारण करने के बाद अंडे, मांस, मदिरा, लहसुन, प्याज को त्याग देना चाहिए।
– रुद्राक्ष शिवलिंग अथवा शिव प्रतिमा से स्पर्श कराकर ही धारण करना चाहिए।
– रुद्राक्ष धारण करने के बाद सुबह-शाम भगवान शंकर का पूजन और ॐ नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
– रुद्राक्ष धारण करने पर व्यक्ति को झूठ बोलने की आदत को छोड़ देना चाहिए, इससे भगवान शिव रूष्ट हो सकते हैं।
रुद्राक्ष धारण करने के लाभ-
ये बात वैज्ञानिक भी मानते हैं कि रुद्राक्ष धारण करने से कई शाररिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है। वैज्ञानिक परिक्षण में साबित हुआ है कि रुद्राक्ष हृदय रोग में बहुत लाभदायक होता है। उच्च रक्तचाप भी नियंत्रित होता है। मंत्र-विधान के साथ पहना हुआ रुद्राक्ष शोक, रोग, चोट, बाहरी प्रभाव, विष प्रहार, असौन्दर्य, बांझपन, नपुंसकता आदि खत्म हो जाते हैं। तीन मुखी रुद्राक्ष पहनने से स्त्री हत्या का पाप समाप्त होता है। इसके अलावा सात मुखी रुद्राक्ष धारण करने से सोने की चोरी आदि के पाप से मुक्ति मिलती है और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। रुद्राक्ष पानी में डूबे तो असली होता है व्रत-उपवास, तंत्र-मंत्र, पेड़-पौधों की सेवा और दान आदि करने से पाप कटते हैं और मनोकामना पूरी होती है।